नई दिल्ली/रायपुर: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे एक बार फिर अपनी जुबान फिसलने को लेकर राजनीतिक विवाद में घिर गए हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक जनसभा के दौरान खड़गे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का नाम गलत उच्चारित कर दिया। उन्होंने राष्ट्रपति मुर्मू को “मुरमा जी” और कोविंद को “कोविड” कह दिया, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उन पर जोरदार हमला बोला और माफी की मांग की।
क्या कहा खड़गे ने?
खड़गे रायपुर के साइंस ग्राउंड में आयोजित एक सभा को संबोधित कर रहे थे। भाषण के दौरान उन्होंने कहा,
“वे (BJP) कहते हैं कि हमने (द्रौपदी) मुरमा को राष्ट्रपति बनाया, (रामनाथ) कोविड को राष्ट्रपति बनाया, लेकिन क्यों? ताकि हमारे जल, जंगल और जमीन को छीन सकें… आज अडानी-अंबानी जैसे लोग इस पर कब्जा कर रहे हैं।”
हालांकि, खड़गे ने “मुरमा” कहने के तुरंत बाद खुद को सुधारा और “मुर्मू” कहा, लेकिन कुछ ही पलों बाद उन्होंने रामनाथ कोविंद को “कोविड” कहकर संबोधित किया, जिससे राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया।
भाजपा का तीखा प्रहार
खड़गे की टिप्पणी पर BJP ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा,
“खड़गे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी के लिए आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया है। यह कांग्रेस की ‘एंटी-दलित, एंटी-आदिवासी और एंटी-संविधान’ मानसिकता को दर्शाता है।”
भाटिया ने कहा कि खड़गे ने न सिर्फ गलत शब्दों का प्रयोग किया, बल्कि आरोप लगाया कि राष्ट्रपति मुर्मू आदिवासियों की जमीन छीनने के लिए राष्ट्रपति बनीं। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष को “रिमोट कंट्रोल से चलने वाला नेता” बताया और दावा किया कि ये बयान राहुल गांधी के इशारे पर दिए गए हैं।
भाजपा ने मांगी सार्वजनिक माफी
भाजपा ने कांग्रेस से सार्वजनिक माफी की मांग की है। भाटिया ने कहा,
“अगर कांग्रेस और मल्लिकार्जुन खड़गे माफी नहीं मांगते, तो देश का हर नागरिक नाराज़गी जाहिर करेगा। यह गलती कांग्रेस को बहुत महंगी पड़ेगी।”
उन्होंने यह भी मांग की कि कांग्रेस कार्यकर्ता खुद खड़गे से पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा लें।
राजनीतिक गलियारों में हंगामा
इस बयान के बाद कांग्रेस की ओर से अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इस slip of tongue को लेकर चर्चा तेज़ है। जहां एक ओर कांग्रेस इसे अनजानी गलती बता सकती है, वहीं भाजपा इसे कांग्रेस की आदिवासी और दलित विरोधी मानसिकता का उदाहरण बता रही है।
मल्लिकार्जुन खड़गे की जुबान फिसलने से उठा विवाद अब सामान्य राजनीतिक बहस से आगे बढ़कर संवेदनशील समुदायों की भावनाओं से जुड़ चुका है। देखना होगा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और क्या खड़गे माफी मांगते हैं या इस विवाद को राजनीतिक चक्रव्यूह मानकर आगे बढ़ते हैं।