प्योंगयांग: उत्तर कोरिया अगले सप्ताह अपने सबसे बड़े समुद्री पर्यटन स्थल वॉनसान-कालमा तटीय पर्यटन क्षेत्र को आम जनता के लिए खोलने जा रहा है। राज्य मीडिया के अनुसार, यह परियोजना देश के पर्यटन उद्योग के लिए एक “नए युग की शुरुआत” मानी जा रही है, और यह देश को विदेशी पर्यटकों के लिए पूर्ण रूप से खोलने की दिशा में पहला कदम है।
वॉनसान-कालमा परियोजना में एक साथ करीब 20,000 पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था की गई है। इस पर्यटक क्षेत्र में समुद्र में तैराकी, खेलकूद, मनोरंजन गतिविधियाँ, रेस्तरां और कैफेटेरिया जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने मंगलवार को एक भव्य उद्घाटन समारोह में स्थल का दौरा किया और रिबन काटकर इसका उद्घाटन किया। कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (KCNA) ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी।
किम जोंग उन ने इसे “वर्ष की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक” बताया और इसे पर्यटन क्षेत्र के विकास की दिशा में “गर्व से भरा पहला कदम” करार दिया।
यह तटीय स्थल उत्तर कोरिया की अब तक की सबसे बड़ी पर्यटन परियोजना है। KCNA ने बताया कि इस स्थल को एक जुलाई से घरेलू पर्यटकों के लिए खोला जाएगा। हालांकि विदेशी पर्यटकों के आगमन को लेकर अभी कोई स्पष्ट तिथि नहीं दी गई है। लेकिन गुरुवार को रूसी अधिकारियों ने पुष्टि की कि जुलाई में ही रूस से पहला पर्यटक दल इस स्थल का दौरा करेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह परियोजना उत्तर कोरिया की सीमित अर्थव्यवस्था के लिहाज से एक बड़ी पूंजीगत निवेश है। इसलिए इसकी सफलता के लिए इसे अंततः चीनी और अन्य विदेशी पर्यटकों के लिए भी खोला जाएगा, ताकि व्यावसायिक रूप से लाभ कमाया जा सके।
किम जोंग उन लंबे समय से पर्यटन को देश की अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार का माध्यम बनाने पर जोर देते आ रहे हैं। वॉनसान-कालमा परियोजना उनके कई महत्वाकांक्षी पर्यटन अभियानों में से एक है। KCNA की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार भविष्य में देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसे बड़े पैमाने पर पर्यटक स्थल विकसित करने की योजना बना रही है।
इस बीच भारत ने भी उत्तर कोरिया में लगभग चार वर्षों के अंतराल के बाद अपने नए राजदूत की नियुक्ति की है। भारत के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि वर्तमान में पराग्वे में भारत की कार्यवाहक राजदूत के रूप में कार्यरत अलियावती लोंगकुमेर को उत्तर कोरिया में भारत की अगली राजदूत नियुक्त किया गया है। यह कदम भारत की उत्तर कोरिया में पूर्ण राजनयिक उपस्थिति की बहाली का संकेत है।
उत्तर कोरिया द्वारा पर्यटन के माध्यम से आर्थिक अवसरों को खोजने की यह कोशिश वैश्विक मंच पर उसके अलग-थलग पड़ने के बीच की गई एक रणनीतिक पहल मानी जा रही है। आने वाले महीनों में इस परियोजना की सफलता और विदेशी पर्यटकों की आमद पर विशेष नजर रहेगी।