नई दिल्ली/कोलकाता: कोलकाता के एक प्रतिष्ठित लॉ कॉलेज में छात्रा के साथ हुए गैंगरेप के मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने इस घटना पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सख्त रुख अपनाया है। आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने कोलकाता पुलिस आयुक्त मनोज वर्मा को पत्र लिखकर मामले की त्वरित और समयबद्ध जांच सुनिश्चित करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने तीन दिन के भीतर विस्तृत रिपोर्ट भी तलब की है।
महिला आयोग ने पुलिस को निर्देश दिया है कि आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत उचित धाराओं में मामला दर्ज कर उन्हें कड़ी सज़ा दिलाई जाए। आयोग ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि पीड़िता को पूर्ण चिकित्सीय, मानसिक और कानूनी सहायता दी जाए। इसके अलावा, रहाटकर ने बीएनएस की धारा 396 के अंतर्गत पीड़िता को मुआवज़ा दिलाने पर भी ज़ोर दिया है।
इस बीच, मामले ने राजनीतिक तूल भी पकड़ लिया है। केंद्रीय मंत्री और भाजपा पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने इस घटना को राज्य की बिगड़ती कानून-व्यवस्था का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा, “इस घटना ने साबित कर दिया है कि पश्चिम बंगाल में छात्राएं अब शैक्षणिक संस्थानों में भी सुरक्षित नहीं हैं।” उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पिछले वर्ष आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या के मामले ने भी देशव्यापी आक्रोश पैदा किया था।
मजूमदार ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा, “जब राज्य की मुख्यमंत्री खुद गृह विभाग संभालती हैं, तो कानून व्यवस्था की यह स्थिति बेहद चिंताजनक है।”
क्या है मामला?
25 जून की शाम, साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज (कसबा कैंपस) में एक छात्रा के साथ दो सीनियर छात्रों और एक पूर्व छात्र ने मिलकर कथित तौर पर गैंगरेप किया। पीड़िता की शिकायत के आधार पर तीनों आरोपियों को गुरुवार रात गिरफ्तार कर लिया गया। इनमें से एक आरोपी अब वकील बन चुका है और उसके सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से संबंध होने के आरोप भी लगे हैं।
घटना के बाद सोशल मीडिया से लेकर छात्र संगठनों तक, हर जगह न्याय की मांग तेज हो गई है। कॉलेज प्रशासन और पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि शैक्षणिक संस्थान के भीतर ऐसी घिनौनी वारदात कैसे घट सकती है।
निष्कर्ष
यह घटना न सिर्फ राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर समाज के जागरूक और जिम्मेदार होने की जरूरत भी दर्शाती है। अब सबकी निगाहें हैं पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई पर — क्या पीड़िता को मिलेगा न्याय या यह भी एक और ‘फाइल’ बनकर रह जाएगी?