Krishna Janmbhoomi Dispute: इलाहाबाद हाईकोर्ट कृष्ण जन्मभूमि विवाद में खेला गेम, पस्त हुआ मुस्लिम पक्ष

Krishna Janmbhoomi Dispute: इलाहाबाद हाईकोर्ट कृष्ण जन्मभूमि विवाद में खेला गेम, पस्त हुआ मुस्लिम पक्ष
Krishna Janmbhoomi Dispute: इलाहाबाद हाईकोर्ट कृष्ण जन्मभूमि विवाद में खेला गेम, पस्त हुआ मुस्लिम पक्ष

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में हिंदू पक्ष द्वारा दाखिल उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अदालत से आग्रह किया गया था कि भविष्य की सभी सुनवाईयों में ‘शाही ईदगाह मस्जिद’ को ‘विवादित ढांचा’ के रूप में संबोधित किया जाए।

न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ ने मौखिक रूप से यह स्पष्ट किया कि “इस स्तर पर” यह याचिका खारिज की जा रही है। हिंदू पक्ष की यह याचिका Application A-44 के रूप में दायर की गई थी।

क्या थी हिंदू पक्ष की मांग?

वकील महेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा दाखिल मूल वाद संख्या 13 के अंतर्गत याचिका A-44 में यह अनुरोध किया गया था कि अदालत अपने स्टेनोग्राफर को निर्देश दे कि वे सभी कार्यवाही में ‘शाही ईदगाह मस्जिद’ की जगह ‘विवादित ढांचा’ शब्द का प्रयोग करें। हिंदू पक्ष का तर्क था कि उक्त मस्जिद उस स्थान पर बनी है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान माना जाता है।

मुस्लिम पक्ष ने जताई आपत्ति

इस याचिका पर मुस्लिम पक्ष ने लिखित आपत्ति दर्ज की थी। अदालत द्वारा याचिका खारिज किए जाने को मुस्लिम पक्ष के लिए एक बड़ी राहत माना जा रहा है। फिलहाल अदालत में हिंदू पक्ष द्वारा दायर 18 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई जारी है। सभी मामलों की सुनवाई वर्तमान में न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ कर रही है।

क्या है कृष्ण जन्मभूमि विवाद?

यह विवाद मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है, जिसे मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में बनवाया गया बताया जाता है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान पर बने मंदिर को ध्वस्त कर बनवाई गई थी।

वर्ष 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के बीच एक समझौता हुआ था, जिसके तहत मंदिर और मस्जिद दोनों एक-दूसरे के पास मौजूद रह सकते हैं। लेकिन हाल के वर्षों में इस समझौते को कानूनी रूप से अमान्य और धोखाधड़ी पूर्ण बताते हुए कई नई याचिकाएं दायर की गई हैं। petitioners अब उस स्थान पर पूजा करने का अधिकार मांग रहे हैं और मस्जिद को हटाने की मांग कर रहे हैं।

हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की स्थिति

  • मई 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा की निचली अदालतों में लंबित सभी मामलों को अपने पास स्थानांतरित कर लिया था।
  • इस आदेश को मस्जिद समिति और बाद में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
  • दिसंबर 2023 में हाईकोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर मस्जिद का निरीक्षण कराने की अनुमति दी थी।
  • जनवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी, जिसे बाद में बढ़ा दिया गया।

फिलहाल क्या स्थिति है?

अभी तक किसी पक्ष के दावे को अदालत ने अंतिम रूप से स्वीकार या खारिज नहीं किया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट इस पूरे विवाद पर विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई लगातार कर रहा है, और अगली सुनवाई की तारीख जल्द तय की जाएगी।