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Lucky Ali ने Javed Akhtar पर साधा निशाना, ‘कभी जावेद अख्तर जैसा मत बनो’, इस बयान से मची है खलबली

Lucky Ali ने Javed Akhtar पर साधा निशाना, 'कभी जावेद अख्तर जैसा मत बनो', इस बयान से मची है खलबली
Lucky Ali ने Javed Akhtar पर साधा निशाना, 'कभी जावेद अख्तर जैसा मत बनो', इस बयान से मची है खलबली

नई दिल्ली: गायक लकी अली ने हाल ही में जावेद अख्तर के एक विवादास्पद बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। जावेद अख्तर ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में हिंदू-मुसलमान के बीच अंतर पर टिप्पणी की थी, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर विवाद खड़ा हो गया है। लकी अली ने इस बयान का विरोध करते हुए जावेद अख्तर को आड़े हाथों लिया। जावेद अख्तर ने अपने बयान में कहा था, “शोले” फिल्म के एक दृश्य का उदाहरण देते हुए, जिसमें धर्मेंद्र शिवजी की मूर्ति के पीछे छिपकर बोलते हैं और हेमा मालिनी समझती हैं कि शिवजी उनसे बात कर रहे हैं। जावेद अख्तर ने कहा, “क्या आज के समय में ऐसा दृश्य लिखा जा सकता है? 1975 में जब शोले रिलीज़ हुई थी, तब क्या हिंदू नहीं थे? क्या धर्मिक लोग नहीं थे?”

इसके बाद उन्होंने आगे कहा, “मैं रिकार्ड पर हूं, और मैंने पुणे में एक बड़े मंच पर यह कहा था कि ‘हिंदुओं को मुसलमानों जैसा बनने की जरूरत नहीं है, उन्हें खुद जैसा बनाना चाहिए। वे मुसलमानों जैसा बन रहे हैं, यह एक त्रासदी है’।” जावेद अख्तर का यह बयान वायरल हो गया और सोशल मीडिया पर इसे लेकर जबरदस्त बहस शुरू हो गई। कुछ लोग उनके बयान का समर्थन कर रहे थे, जबकि लकी अली समेत कई लोग उनका विरोध कर रहे थे। लकी अली ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए एक पोस्ट में लिखा, “कभी जावेद अख्तर जैसा मत बनो, न ही कभी ओरिजिनल थे और न ही सुंदर।” लकी अली की इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर दोनों पक्षों के समर्थक सक्रिय हो गए और बहस तेज हो गई। हालांकि, जावेद अख्तर की तरफ से अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह पूरा मामला सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है, और इसके बाद जावेद अख्तर और लकी अली के बीच की टकराव को लेकर लोग अपनी-अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं।

जैश-ए-मोहम्मद ने महिलाओं की भर्ती के लिए ऑनलाइन कोर्स शुरू किया, मसूद अजहर की बहनों को सौंपी जिम्मेदारी

जैश-ए-मोहम्मद ने महिलाओं की भर्ती के लिए ऑनलाइन कोर्स शुरू किया, मसूद अजहर की बहनों को सौंपी जिम्मेदारी
जैश-ए-मोहम्मद ने महिलाओं की भर्ती के लिए ऑनलाइन कोर्स शुरू किया, मसूद अजहर की बहनों को सौंपी जिम्मेदारी

नई दिल्ली: पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) ने महिलाओं को संगठन से जोड़ने और आत्मघाती हमलों के लिए तैयार करने के मकसद से एक नया ऑनलाइन ट्रेनिंग कोर्स ‘तुफ़त अल-मोमिनात’ शुरू किया है। यह कोर्स 8 नवंबर से शुरू होगा, और इसे आतंकवादी मसूद अजहर की बहनें सादिया अजहर और समायरा अजहर चलाएंगी।

भारत की खुफिया एजेंसियों द्वारा प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, इस कोर्स के जरिए महिलाओं को जिहाद, इस्लाम और धार्मिक कर्तव्यों की ट्रेनिंग दी जाएगी। यह कोर्स हर दिन 40 मिनट का होगा और इसे जैश की महिला शाखा ‘जमात उल-मोमिनात’ के अंतर्गत चलाया जा रहा है।

ऑनलाइन फॉर्म भरवा कर चंदा वसूली

इस कोर्स में नामांकन लेने वाली प्रत्येक महिला से 500 पाकिस्तानी रुपये का चंदा लिया जा रहा है और एक ऑनलाइन जानकारी फॉर्म भरवाया जा रहा है। यह पाकिस्तान की एफएटीएफ नियमों के पालन की झूठी बातों की पोल खोलता है, जहां एक ओर सरकार आतंकवाद के खिलाफ सख्ती की बात करती है, वहीं दूसरी ओर जैश जैसे संगठन खुलेआम फंडिंग कर रहे हैं।

महिला आत्मघाती दस्ते की तैयारी

मसूद अजहर ने 8 अक्टूबर को ‘जमात उल-मोमिनात’ नाम से जैश की महिला विंग की शुरुआत की थी। इसके बाद 19 अक्टूबर को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के रावलकोट में ‘दुख़्तरान-ए-इस्लाम’ नाम से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य महिलाओं को जैश के लिए भर्ती करना था।

सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान में महिलाओं का अकेले बाहर निकलना सामाजिक रूप से अस्वीकार्य माना जाता है, इसी वजह से जैश ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को चुना ताकि बिना सार्वजनिक रूप से नजर आए महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा सके। जैश अब आईएसआईएस, हमास और लिट्टे जैसे संगठनों की तर्ज पर महिला आत्मघाती दस्ते तैयार करने की योजना बना रहा है।

सादिया अजहर को दी गई कमान

मसूद अजहर ने इस पूरी योजना की कमान अपनी छोटी बहन सादिया अजहर को दी है, जिनके पति यूसुफ अजहर को ऑपरेशन सिंदूर में मारा गया था। जैश की सलाहकार समिति ‘शूरा’ में उसने अपनी अन्य बहनों सफिया और अफरीरा फारूक को भी शामिल किया है। अफरीरा, उमर फारूक की पत्नी हैं, जो पुलवामा हमले में शामिल था और बाद में मुठभेड़ में मारा गया था।

जैश-ए-मोहम्मद की यह नई साजिश भारत सहित वैश्विक सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय है। आतंकी संगठन अब न केवल युवाओं, बल्कि महिलाओं को भी ऑनलाइन जिहादी ट्रेनिंग के जरिए अपने मंसूबों में शामिल कर रहा है, जो आने वाले समय में आतंकवाद की नई चुनौती बन सकता है। भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह आवश्यक हो गया है कि इस नए मोर्चे पर सतर्कता बरती जाए और डिजिटल आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कठोर कार्रवाई की जाए।

महागठबंधन को एक और झटका, मोहनियां से RJD प्रत्याशी श्वेता सुमन का नामांकन रद्द

महागठबंधन को एक और झटका, मोहनियां से RJD प्रत्याशी श्वेता सुमन का नामांकन रद्द
महागठबंधन को एक और झटका, मोहनियां से RJD प्रत्याशी श्वेता सुमन का नामांकन रद्द

पटना/कैमूर: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन को बड़ा झटका लगा है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की मोहनियां सीट से उम्मीदवार श्वेता सुमन का नामांकन रद्द कर दिया गया है। निर्वाचन आयोग ने श्वेता सुमन के शपथपत्र में विसंगतियों के आधार पर यह कार्रवाई की है।

श्वेता सुमन ने कैमूर जिले की मोहनियां विधानसभा सीट से अपना नामांकन दाखिल किया था। लेकिन भाजपा ने निर्वाचन आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी कि श्वेता ने 2020 के चुनाव में अपने निवास स्थान के तौर पर उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले को दिखाया था, जबकि 2025 के नामांकन में बिहार को अपना निवास बताया है।

भाजपा की शिकायत के बाद आयोग ने मामले की जांच की और बुधवार को श्वेता सुमन का नामांकन अमान्य घोषित कर दिया।

श्वेता सुमन का आरोप

नामांकन रद्द होने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए श्वेता सुमन ने आरोप लगाया कि उन्हें आज ही जांच (स्क्रूटनी) के लिए बुलाया गया, लेकिन अधिकारियों ने पहले से ही लिखित फैसला तैयार कर रखा था। उन्होंने दावा किया कि अधिकारी उनकी दलीलों को सुनने के लिए तैयार नहीं थे और उन्हें सीधा कहा गया कि “आपका नामांकन रद्द होगा, आप चाहें तो अदालत जा सकती हैं।”

क्या है मामला?

  • 2020 चुनाव में श्वेता सुमन ने अपने शपथपत्र में निवास स्थान चंदौली (उत्तर प्रदेश) दिखाया था।
  • 2025 चुनाव में शपथपत्र में उन्होंने बिहार में निवास का दावा किया।
  • भाजपा ने इसे चुनाव नियमों का उल्लंघन बताते हुए निर्वाचन आयोग में शिकायत की।
  • आयोग ने जांच के बाद नामांकन रद्द कर दिया।

महागठबंधन को बड़ा नुकसान

महागठबंधन पहले ही कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे में एक मजबूत उम्मीदवार के नामांकन का रद्द होना चुनाव रणनीति के लिहाज से बड़ा झटका माना जा रहा है।

अब देखना होगा कि RJD इस सीट से किसे नया उम्मीदवार घोषित करती है और क्या श्वेता सुमन कोर्ट का रुख करेंगी या नहीं।

भारत‑अमेरिका व्यापार समझौते की दिशा में बड़ा कदम, अमेरिका करेगा टैरिफ में भारी कटौती

भारत‑अमेरिका व्यापार समझौते की दिशा में बड़ा कदम, अमेरिका करेगा टैरिफ में भारी कटौती
भारत‑अमेरिका व्यापार समझौते की दिशा में बड़ा कदम, अमेरिका करेगा टैरिफ में भारी कटौती

नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों को नए पायदान पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति देखी गयी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दोनों देश एक ऐसे समझौते के करीब पहुँच चुके हैं जिसमें अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए आयात टैरिफ को लगभग 50 प्रतिशत से घटाकर 15‑16 प्रतिशत तक लाने पर चर्चा हो रही है।

प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट्स में कहा गया है कि यह डील दोनों देश के बीच लंबित व्यापार विवादों का समाधान कर सकती है।
  • व्यापार समझौते में विशेष रूप से एग्रीकल्चर और ऊर्जा (एनर्जी) क्षेत्रों पर जोर दिया जा रहा है।
  • एक महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि भारत, रूस से कच्चे तेल के आयात को कम करने पर सहमति दे सकता है, जिसे अमेरिकी पक्ष ने बातचीत में उठाया है।
  • सूत्रों की मानें तो यह समझौता इस महीने के अंत में होने वालेASEAN शिखर सम्मेलन तक अंतिम रूप ले सकता है।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई फोन कॉल में भी इन विषयों पर बातचीत हुई थी; पीएम मोदी ने बातचीत की पुष्टि की है।

क्या‑क्या शामिल हो सकता है समझौते में

  • अमेरिका की इन कृषि वस्तुओं के रुझानों पर फोकस है जो भारत में कम स्तर पर प्रवेश कर पा रही हैं जैसे कि जीएम‑मुक्त मक्का, सोयाबीन मील आदि।
  • भारत की ओर से निर्यात‑उन्मुख सेक्टर विशेषकर कपड़ा, इंजीनियरिंग तथा दवाइयाँ अमेरिकी बाजार में बेहतर प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति प्राप्त कर सकते हैं। अमेरिकी टैरिफ में कटौती से यह संभव हो सकता है।

चुनौतियाँ और विचारणीय बातें

  • हालांकि मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि समझौता अंतिम चरण में है, लेकिन भारत अथवा अमेरिका की ओर से अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं आई है।
  • रूस से कच्चे तेल आयात कम करने की बात उठी है, लेकिन भारत ने इस संबंध में अब तक कोई पुष्टि नहीं की है।
  • व्यापार टैरिफ एवं बाजार पहुंच से जुड़े समझौते अक्सर कई संवेदनशील राजनीतिक, रक्षा‑और भू‑राजनीतिक आयामों से प्रभावित होते हैं। इसलिए इसके अमली तौर पर क्रियान्वयन तक कई चरण पार करना होंगे।

यदि यह व्यापार समझौता सफलतापूर्वक फाइनल होता है, तो यह भारत‑अमेरिका संबंधों में एक नया अध्याय खोलेगा न सिर्फ व्यापार‑मात्र के लिए, बल्कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को भी मजबूती देगा। इसके साथ ही भारत को अमेरिकी बाजार में बेहतर अवसर मिल सकते हैं और अमेरिकी पक्ष को भारत के तेजी से बढ़ते बाजार का लाभ उठाने का अवसर मिलेगा। हालाँकि, ये सभी बातें अभी कथित रिपोर्ट्स पर आधारित हैं और तब तक इंतजार करना होगा जब तक दोनों देशों द्वारा औपचारिक रूप से घोषणा न की जाए।

मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण में कानूनी बाधाएं समाप्त, बेल्जियम अदालत ने दिया हरी झंडी

मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण में कानूनी बाधाएं समाप्त, बेल्जियम अदालत ने दिया हरी झंडी
मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण में कानूनी बाधाएं समाप्त, बेल्जियम अदालत ने दिया हरी झंडी

बेल्जियम की अदालत ने मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण में अब कोई कानूनी बाधा न होने का आदेश जारी कर दिया है। चोकसी पर पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में 13,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की साजिश रचने के गंभीर आरोप हैं। अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि चोकसी के खिलाफ लगाए गए अपराध बेल्जियम के कानून के तहत भी अपराध माने जाते हैं, इसलिए उसे भारत को सौंपा जा सकता है।

आदेश की कॉपी एनडीटीवी के पास है, जिसमें यह भी लिखा है कि मेहुल चोकसी बेल्जियम का नागरिक नहीं है, बल्कि विदेशी नागरिक है। इसके चलते उसकी नागरिकता विवादित रही है। चोकसी ने दावा किया था कि उसने नवंबर 2017 में एंटीगुआ की नागरिकता ली और 14 दिसंबर 2018 को भारतीय नागरिकता त्याग दी। हालांकि भारत सरकार इस दावे का विरोध करती रही है और उसे भारतीय नागरिक मानते हुए प्रत्यर्पण की मांग कर रही है।

बेल्जियम की अदालत ने कहा है कि भारत में दर्ज अपराध जैसे धोखाधड़ी, जालसाजी, दस्तावेज जालसाजी, भ्रष्टाचार आदि के मामले भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आते हैं, जिनमें एक वर्ष से अधिक की सजा का प्रावधान है। हालांकि, एक विशेष आरोप जिसमें सबूतों को नष्ट करने का मामला शामिल है, वह बेल्जियम के कानून के तहत अपराध नहीं माना गया, इसलिए उस मामले में प्रत्यर्पण नहीं दिया जा सकता।

अदालत ने यह भी कहा कि चोकसी द्वारा लगाए गए आरोप कि उसे एंटीगुआ से जबरन भारत लाया गया या भारत में राजनीतिक उत्पीड़न का खतरा है के लिए कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं। चोकसी के द्वारा प्रस्तुत कई दस्तावेज़ और रिपोर्ट अदालत के समक्ष प्रासंगिक नहीं माने गए और किसी भी व्यक्तिगत खतरे को साबित नहीं कर पाए।

भारत की जांच एजेंसी सीबीआई के अनुरोध पर एंटवर्प पुलिस ने 11 अप्रैल को मेहुल चोकसी को गिरफ्तार किया था। वह अब चार महीने से अधिक समय से बेल्जियम की हिरासत में है। उसकी जमानत याचिकाएं अदालत द्वारा खारिज की जा चुकी हैं।

मेहुल चोकसी पर लगे प्रमुख आरोप

  • पंजाब नेशनल बैंक घोटाला: 13,850 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी करने का आरोप।
  • मनी लॉन्डरिंग: फर्जी लेनदेन और शेल कंपनियों के माध्यम से काले धन का सफेद करना।
  • फर्जी गारंटी: पीएनबी के अधिकारियों की मिलीभगत से नकली गारंटी जारी करना।
  • शेयर बाजार में धोखाधड़ी: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने उन्हें 10 साल के लिए पूंजी बाजार से प्रतिबंधित किया है।
  • नकली हीरों की बिक्री: असली बताकर नकली हीरों को बेचना।
  • विदेशी बैंकों से बिना सिक्योरिटी लोन लेना: फर्जी दस्तावेजों के जरिए विदेशी बैंकों से लोन लेना।

इस आदेश के बाद अब मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद है। यह मामला देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक है और इसके निष्पादन से भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाने का संदेश जाएगा।

President Draupadi Murmu Helicopter News: केरल में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हेलिकॉप्टर के साथ बड़ा हादसा, लैंडिंग के दौरान धंसा हेलीपैड

President Draupadi Murmu Helicopter News: केरल में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हेलिकॉप्टर के साथ बड़ा हादसा, लैंडिंग के दौरान धंसा हेलीपैड
President Draupadi Murmu Helicopter News: केरल में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हेलिकॉप्टर के साथ बड़ा हादसा, लैंडिंग के दौरान धंसा हेलीपैड

तिरुवनंतपुरम: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बुधवार को केरल के पथानमथिट्टा जिले स्थित प्रमादम स्टेडियम में एक बड़े हादसे का शिकार होने से बाल-बाल बचीं। उनके हेलिकॉप्टर की लैंडिंग के दौरान हेलीपैड का हिस्सा भार के कारण अचानक धंस गया। इस घटना से मौके पर कुछ देर के लिए हड़कंप मच गया, लेकिन राहत की बात यह रही कि किसी को कोई चोट नहीं आई।

सुरक्षाकर्मियों ने दिखाई तत्परता

घटना के दौरान मौके पर मौजूद पुलिस और अग्निशमन विभाग के आपातकालीन कर्मियों ने स्थिति पर तुरंत नियंत्रण पाया। हेलिकॉप्टर को धंसे हुए हिस्से से सावधानीपूर्वक बाहर निकाला गया। किसी भी प्रकार की क्षति या कोई तकनीकी खराबी की सूचना नहीं है।

राष्ट्रपति पूरी तरह सुरक्षित

राष्ट्रपति मुर्मू और उनके साथ मौजूद सभी चालक दल के सदस्य पूरी तरह सुरक्षित हैं। घटना में किसी के घायल होने की पुष्टि नहीं हुई है। अधिकारियों ने बताया कि यह एक तकनीकी लापरवाही का मामला हो सकता है, और पूरे घटनाक्रम की जांच शुरू कर दी गई है।

सबरीमाला मंदिर के दर्शन पर निकली हैं राष्ट्रपति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू वर्तमान में दो दिवसीय केरल दौरे पर हैं। मंगलवार शाम को वे तिरुवनंतपुरम पहुंचीं, जहां राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन ने उनका स्वागत किया। बुधवार सुबह राष्ट्रपति हेलिकॉप्टर से तिरुवनंतपुरम से निलक्कल पहुंचीं और वहां से सड़क मार्ग से सबरीमाला मंदिर के आधार शिविर पंपा गईं। पंपा गणपति मंदिर में पारंपरिक पूजा और इरुमुडी बाँधने की रस्में पूरी की गईं। इसके बाद राष्ट्रपति विशेष वाहन से सबरीमाला पहाड़ी पर स्थित प्रसिद्ध अयप्पा मंदिर के दर्शन के लिए रवाना हुईं।

कड़ी सुरक्षा व्यवस्था

राष्ट्रपति की यात्रा को देखते हुए सबरीमाला मंदिर और उसके आसपास के इलाकों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। मंदिर परिसर और आधार शिविर पंपा दोनों स्थानों पर सुरक्षा बलों की विशेष तैनाती की गई है। दर्शन के बाद राष्ट्रपति मुर्मू के बुधवार दोपहर तक तिरुवनंतपुरम लौटने की संभावना है। प्रशासन ने पूरे दौरे को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए व्यापक प्रबंध किए हैं। हेलिकॉप्टर की लैंडिंग के दौरान हुई यह घटना एक गंभीर सुरक्षा चूक की ओर इशारा करती है। हालांकि कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन राष्ट्रपति स्तर की यात्रा में ऐसी घटना को हल्के में नहीं लिया जा सकता। संबंधित एजेंसियों द्वारा जांच के बाद ज़िम्मेदारों पर कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।

करोड़ों की रिश्वतखोरी में फंसे पंजाब के DIG Harcharan Bhullar, CBI की गिरफ्तारी के बाद सरकार ने किया निलंबित

करोड़ों की रिश्वतखोरी में फंसे पंजाब के DIG Harcharan Bhullar, CBI की गिरफ्तारी के बाद सरकार ने किया निलंबित
करोड़ों की रिश्वतखोरी में फंसे पंजाब के DIG Harcharan Bhullar, CBI की गिरफ्तारी के बाद सरकार ने किया निलंबित

चंडीगढ़: पंजाब के डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बाद पंजाब सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए उन्हें निलंबित कर दिया है। कुछ दिन पहले सीबीआई ने डीआईजी को 5 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। इसके बाद उनके आवास और अन्य ठिकानों पर हुई छापेमारी में करोड़ों की अवैध संपत्ति का खुलासा हुआ।

सीबीआई ने डीआईजी हरचरण भुल्लर के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनकी कोठी और करीबी ठिकानों पर एक साथ छापे मारे। इन छापों में 7.5 करोड़ रुपये की नकदी, ढाई किलो सोना, महंगे प्रॉपर्टी डील्स से जुड़े दस्तावेज और जमीनों की रजिस्ट्री बरामद हुईं। नोटों के बंडल इतने ज्यादा थे कि उन्हें गिनने में अधिकारियों को घंटों लग गए।

पंजाब सरकार की बड़ी कार्रवाई

भ्रष्टाचार के इस हाई-प्रोफाइल मामले के सामने आने के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरचरण सिंह भुल्लर को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि “हमारी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत किसी भी भ्रष्ट अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कितने भी ऊंचे पद पर क्यों न हो।” मुख्यमंत्री के अनुसार, यह निलंबन 16 अक्टूबर 2025 से प्रभावी माना जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार जनसेवा में पारदर्शिता और ईमानदारी को प्राथमिकता देती है, और इस प्रकार के मामलों में सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सीएम का सख्त संदेश

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने बयान में कहा,
“पिछले चार वर्षों में हमारी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ स्पष्ट और सख्त रुख अपनाया है। यह कार्रवाई उसी प्रतिबद्धता का हिस्सा है। भ्रष्टाचार सिर्फ आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि जनता के विश्वास के साथ धोखा है।”

उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य एक ऐसी प्रशासनिक व्यवस्था बनाना है जहां जवाबदेही, पारदर्शिता और जनहित सर्वोपरि हों। डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर की गिरफ्तारी और करोड़ों की काली कमाई का खुलासा पंजाब पुलिस और प्रशासनिक तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े करता है। लेकिन सरकार की ओर से की गई त्वरित कार्रवाई यह संकेत देती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई केवल शब्दों तक सीमित नहीं, बल्कि ठोस कदमों के साथ जारी है। अब इस मामले में आगे की जांच से यह स्पष्ट होगा कि इस भ्रष्टाचार के जाल में और कौन-कौन शामिल था, और क्या यह केवल एक व्यक्ति की करतूत थी या एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा।

पंजाब के पूर्व DGP के बेटे की रहस्यमयी मौत के पीछे कौन? पूर्व DGP ने बनाए अपनी बहू से अवैध संबंध

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चंडीगढ़: पंचकूला में कांग्रेस नेता रजिया सुल्ताना और पंजाब के पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा के बेटे अकील अख्तर की मौत के बाद एक ऐसा विवाद खड़ा हो गया है, जिसने राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। अकील की मौत की वजह अभी तक आधिकारिक रूप से सामने नहीं आई है, लेकिन इससे पहले सामने आए दो विरोधाभासी वीडियो ने पूरे मामले को उलझा दिया है।

डीजीपी पिता पर बेटे का सनसनीखेज आरोप

27 अगस्त को रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो में अकील ने अपने पिता मोहम्मद मुस्तफा पर बेहद गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा कि उनके पिता के अपनी बहू, यानी अकील की पत्नी, के साथ “अवैध संबंध” हैं। यह आरोप न केवल पारिवारिक संबंधों की मर्यादा को चुनौती देता है, बल्कि एक पूर्व पुलिस प्रमुख की नैतिकता पर भी सवाल खड़े करता है।

अकील ने वीडियो में स्पष्ट तौर पर कहा,
“मैंने अपने डैड को अपनी वाइफ के साथ बाथरूम में देखा है। मेरे अपने मां-बाप और बहन मेरी जान के दुश्मन बन चुके हैं।”
उन्होंने यह भी दावा किया कि परिवार उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है, बिजनेस से दूर कर दिया गया है और उन्हें जबरन नशामुक्ति केंद्र भेजा गया।

इन आरोपों के बाद परिवार की ओर से इस वीडियो को “झूठा और अकील की मानसिक अस्थिरता का नतीजा” बताया गया था।

दूसरा वीडियो: विरोधाभास या दबाव में बयान?

मौत से कुछ दिन पहले अकील का एक और वीडियो सामने आया, जिसमें उनका लहजा बिल्कुल शांत नजर आता है। उसमें वे अपने ही पहले बयान को गलत बताते हैं और कहते हैं कि वे बीमार थे और मानसिक तनाव में ऐसी बातें कह गए। उन्होंने अपने पिता और बहन की तारीफ करते हुए कहा कि वे उनका ख्याल रखते हैं और पहले जो भी कहा, वह “गलतफहमी” थी।

यह वीडियो सवाल खड़ा करता है क्या अकील ने यह बयान किसी दबाव में दिया था या वाकई उनकी मानसिक स्थिति अस्थिर थी?

डीजीपी परिवार पर राजनीतिक दबाव के आरोप

इस पूरे मामले में राजनीतिक रंग भी चढ़ता दिख रहा है। मोहम्मद मुस्तफा और रजिया सुल्ताना दोनों का राजनीतिक कद काफी बड़ा है। रजिया पंजाब सरकार में मंत्री रह चुकी हैं, जबकि मुस्तफा राज्य के पुलिस विभाग के शीर्ष पद पर रहे हैं। अब जब बेटे की मौत के बाद उन पर ही उंगलियां उठ रही हैं, तो इसे लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि कहीं इस मामले को दबाने की कोशिश तो नहीं हो रही? मुस्तफा ने NDTV को दिए इंटरव्यू में कहा कि “यह सब एक राजनीतिक साजिश है”, लेकिन यह बयान भी जांच को संतोषजनक दिशा में ले जाने के बजाय संदेह और गहरा कर गया है।

पुलिस जांच उलझी, सच्चाई अधर में

पंचकूला पुलिस ने अब तक मौत का प्राथमिक कारण दवाइयों की ओवरडोज माना है, लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतज़ार किया जा रहा है। दोनों वीडियो, अकील की मानसिक स्थिति और परिवारिक विवाद को ध्यान में रखते हुए पुलिस अब कई एंगल से जांच कर रही है। क्या यह एक बीमार बेटे का भ्रम था या एक गहरी पारिवारिक साजिश? क्या पंजाब के पूर्व डीजीपी पर लगाए गए आरोप महज मानसिक तनाव की उपज थे या कुछ ऐसा, जो पर्दे के पीछे दबा दिया गया? इस मामले में अभी तक कोई अंतिम निष्कर्ष नहीं निकला है, लेकिन यह तय है कि यह सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि एक हाई-प्रोफाइल मामला है जिसकी जांच निष्पक्ष और गहराई से होनी चाहिए।

Bihar Election 2025: तेजस्वी यादव का बड़ा ऐलान, जीविका दीदियों के लिए ₹30,000 वेतन और सरकारी नौकरियां

Bihar Election 2025: तेजस्वी यादव का बड़ा ऐलान, जीविका दीदियों के लिए ₹30,000 वेतन और सरकारी नौकरियां
Bihar Election 2025: तेजस्वी यादव का बड़ा ऐलान, जीविका दीदियों के लिए ₹30,000 वेतन और सरकारी नौकरियां

नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने बुधवार को एक और बड़ा चुनावी वादा करते हुए कहा कि महागठबंधन की सरकार बनने पर राज्य की सभी ‘जीविका सीएम दीदियों’ को स्थायी सरकारी नौकरी दी जाएगी और उन्हें ₹30,000 मासिक वेतन मिलेगा। तेजस्वी यादव ने यह ऐलान पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान किया।

तेजस्वी ने कहा कि जीविका समूह की महिलाएं लंबे समय से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं, और मौजूदा सरकार ने उनके साथ अन्याय किया है। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार जीविका दीदियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देगी और उनका वेतन ₹30,000 प्रति माह किया जाएगा। यह कोई सामान्य घोषणा नहीं है, यह वर्षों से लंबित मांग रही है।”

तेजस्वी यादव की प्रमुख घोषणाएं:

  • जीविका समूह की महिलाओं द्वारा लिए गए ऋण पर ब्याज माफ किया जाएगा।
  • अगले दो वर्षों तक ब्याज-मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
  • जीविका समूह की महिलाओं को सरकारी कार्यों में भागीदारी के लिए ₹2,000 मासिक भत्ता दिया जाएगा।
  • महिलाओं को ₹5 लाख तक का बीमा कवरेज मिलेगा।
  • बेटी और मां योजना के तहत B से E (Benefit, Education, Training, Income) तक लाभ दिए जाएंगे।
  • राज्य के सभी संविदा कर्मचारियों को स्थायी सरकारी कर्मचारी बनाया जाएगा।

संविदा कर्मचारियों की स्थिति पर बात करते हुए तेजस्वी ने कहा,
“संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों की सेवाएं बिना कारण समाप्त कर दी जाती हैं। उनकी सैलरी से हर माह 18% जीएसटी काटा जाता है, और महिला कर्मचारियों को दो दिन की छुट्टी तक नहीं दी जाती। हमारी सरकार इन सभी अन्यायपूर्ण व्यवस्थाओं को खत्म करेगी।”

हर घर में सरकारी नौकरी देने का वादा

तेजस्वी यादव ने इससे पहले 9 अक्टूबर को यह वादा किया था कि सरकार बनने के 20 दिनों के भीतर एक नया कानून लाया जाएगा, जो हर घर को एक सरकारी नौकरी सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा था कि 20 महीनों के भीतर बिहार में ऐसा कोई घर नहीं होगा जहां कोई सरकारी नौकरी न हो। तेजस्वी ने दोहराया “हम ऐसा कानून बनाएंगे कि 20 महीने में हर घर में एक व्यक्ति के पास सरकारी नौकरी होगी।”

बिहार चुनाव 2025 में महागठबंधन की ओर से यह घोषणाएं मतदाताओं, विशेषकर महिलाओं और संविदा कर्मियों, को आकर्षित करने की रणनीति के तहत देखी जा रही हैं। तेजस्वी यादव के इन वादों से चुनावी बहस को नई दिशा मिल सकती है, वहीं अब देखना होगा कि जनता इन वादों को कितना भरोसेमंद मानती है और चुनाव में इसका क्या असर पड़ता है।

Bihar Vidhan Sabha Election 2025: महागठबंधन की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में एकता की कमी उजागर, NDA को मिल सकता है फायदा

Bihar Vidhan Sabha Election 2025: महागठबंधन की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में एकता की कमी उजागर, NDA को मिल सकता है फायदा
Bihar Vidhan Sabha Election 2025: महागठबंधन की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में एकता की कमी उजागर, NDA को मिल सकता है फायदा

पटना: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। बुधवार को महागठबंधन ने पटना में अपनी साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए चुनावी अभियान की शुरुआत की। महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), वाम दल शामिल हैं। हालांकि, प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले ही महागठबंधन की आंतरिक कलह और सीट बंटवारे को लेकर विवाद सामने आ गया है। महागठबंधन के घटक दलों ने कम से कम 12 सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतार दिए हैं, जिससे एकता पर सवाल उठ रहे हैं और एनडीए को सीधा राजनीतिक लाभ मिल सकता है।

तेजस्वी यादव का सरकार पर हमला

प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि “बिहार की जनता अब डबल इंजन सरकार से ऊब चुकी है और बदलाव चाहती है।” उन्होंने नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इस सरकार ने जनता को केवल धोखा दिया है।

JMM ने जताई नाराजगी, प्रेस कॉन्फ्रेंस से बनाई दूरी

महागठबंधन में शामिल झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल होने से इनकार कर दिया। कांग्रेस नेता राकेश सिन्हा ने कहा, “JMM इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हो रहा है लेकिन हमें उम्मीद है कि झारखंड के मुख्यमंत्री महागठबंधन के पक्ष में प्रचार जरूर करेंगे।”

इससे पहले JMM नेता मनोज पांडेय ने राजद और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “हमारे साथ सीट बंटवारे में अन्याय हुआ है, हमारी भावनाएं आहत हुई हैं। अगर किसी को लगता है कि वह अकेले काफी हैं, तो गठबंधन का मतलब ही क्या रह जाता है?”

ऋतु जायसवाल ने किया बगावत

राजद को एक और झटका तब लगा जब पार्टी की महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष ऋतु जायसवाल ने टिकट न मिलने के चलते पार्टी छोड़ दी और परिहार सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया। उन्होंने इसे “राजनीतिक साजिश” और “विश्वासघात” बताया।

एनडीए ने शुरू किया आक्रामक प्रचार

वहीं दूसरी ओर, एनडीए ने अपनी चुनावी रणनीति को धार देना शुरू कर दिया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले से ही प्रचार में लगे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 अक्टूबर से बिहार में जनसभाएं करेंगे।

एनडीए नेताओं के तीखे बयान

बीजेपी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने महागठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि यह ‘महाठगबंधन’ अब ‘महा-लट्ठ-बंधन’ बन चुका है। उन्होंने ‘फ्रेंडली फाइट’ को लेकर भी सवाल उठाए। जेडीयू नेता संजय झा ने कहा कि “एनडीए में कोई भ्रम नहीं है, सबकुछ स्पष्ट और सहमति से तय हुआ है। इसके विपरीत, महागठबंधन में केवल भ्रम और असहमति है।”

प्रशांत किशोर और पप्पू यादव का हमला

जन सुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा कि “राहुल गांधी का बिहार से कोई लेना-देना नहीं है। वह सिर्फ राजद पर दबाव बनाकर ज्यादा सीटें चाहते हैं।” वहीं, पप्पू यादव ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का चेहरा मानने से इनकार करते हुए कहा कि यह चुनाव नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के बीच है। महागठबंधन की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस जहां चुनावी अभियान की शुरुआत का मंच थी, वहीं इसने गठबंधन की आंतरिक कमजोरियों को भी उजागर कर दिया। सीट बंटवारे पर असहमति, घटक दलों की नाराजगी और बगावत की खबरें महागठबंधन की रणनीति पर सवाल खड़े कर रही हैं। ऐसे में एनडीए को इसका सीधा लाभ मिल सकता है। अब देखना यह होगा कि चुनावी मैदान में कौन सी रणनीति जनता को ज्यादा प्रभावित करती है।