Mahashivratri 2025: जानें शिवरात्रि व महाशिवरात्रि में अंतर

Mahashivratri 2025: जानें शिवरात्रि व महाशिवरात्रि में अंतर
Mahashivratri 2025: जानें शिवरात्रि व महाशिवरात्रि में अंतर

नई दिल्ली: महाशिवरात्रि, जिसे ‘शिव की महान रात्रि’ के रूप में भी जाना जाता है, भगवान शिव को समर्पित एक प्रमुख पर्व है। यह त्यौहार पूरे भारत में माघ और फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को धूमधाम से मनाया जाता है। दक्षिण भारतीय पंचांग के अनुसार यह माघ महीने में और उत्तर भारतीय पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीने में आता है।

महाशिवरात्रि 2025 कब है?

इस वर्ष महाशिवरात्रि बुधवार, 26 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:

  • चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 26 फरवरी, सुबह 11:08 बजे
  • चतुर्दशी तिथि समाप्त: 27 फरवरी, सुबह 08:54 बजे
  • निशीथ काल पूजा का समय: 27 फरवरी, रात 12:27 बजे से 01:16 बजे तक

शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर

क्या है शिवरात्रि?

शिवरात्रि को मासिक शिवरात्रि भी कहा जाता है। यह हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आती है, यानी वर्ष में कुल 12 बार पड़ती है। इस दिन भगवान शिव के भक्त उपवास रखते हैं, प्रार्थना करते हैं और ध्यान लगाते हैं।

क्या है महाशिवरात्रि?

महाशिवरात्रि वर्ष में सिर्फ एक बार मनाई जाती है और यह फरवरी या मार्च महीने में आती है। इसके महत्व को लेकर कई मान्यताएं हैं—

भगवान शिव की तांडव नृत्य रात्रि: यह वह रात मानी जाती है जब भगवान शिव ने सृष्टि के निर्माण, पालन और संहार के प्रतीक रूप में तांडव किया था।

शिव-शक्ति का मिलन: कई श्रद्धालु मानते हैं कि महाशिवरात्रि भगवान शिव और देवी पार्वती के पवित्र मिलन का प्रतीक है।

ऊर्जा का प्राकृतिक संचार: इस दिन पृथ्वी का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार स्थित होता है कि यह मानव शरीर में ऊर्जा के स्वाभाविक संचार को बढ़ा देता है।

    उपासना और पूजा विधि

    महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्त रात्रि जागरण करते हैं, शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और भांग अर्पित करते हैं और ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन शिव आराधना से भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

    महाशिवरात्रि 2025 के लिए तैयारी करें

    शिव भक्तों को इस पावन पर्व पर पूजा का सही समय ध्यान में रखते हुए भगवान शिव की भक्ति और ध्यान करना चाहिए। इस पर्व का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यंत गहरा है, जिससे मनुष्य को आत्मशुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

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