नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और महान अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में 26 दिसंबर 2024 को निधन हो गया। देश ने एक ऐसे नेता को खो दिया, जिन्होंने अपनी सादगी, निष्ठा और दूरदर्शिता से भारत को आर्थिक और कूटनीतिक क्षेत्रों में नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
डॉ. सिंह के निधन पर उनके पूर्व सहयोगी और पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) पंकज सरन ने उन्हें याद करते हुए कहा कि 2008 में उनके कार्यकाल के दौरान हुए 26/11 मुंबई हमले ने उन्हें बुरी तरह झकझोर दिया था। सरन ने कहा कि डॉ. सिंह ने पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण संबंध स्थापित करने की हर संभव कोशिश की थी, लेकिन यह हमला उनके प्रयासों पर एक बड़ा धक्का था।
“सादगी और सहिष्णुता के प्रतीक”
पंकज सरन ने डॉ. सिंह को एक “सादगीपूर्ण व्यक्ति” और “सहमति बनाने वाले नेता” के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा कि डॉ. सिंह कभी प्रधानमंत्री बनना नहीं चाहते थे, लेकिन उन्होंने 10 वर्षों तक इस भूमिका को पूरी निष्ठा के साथ निभाया।
उन्होंने कहा, “वे हमेशा एक अच्छे श्रोता थे, एक महान बुद्धिजीवी और विश्व स्तर के अर्थशास्त्री थे। वे 2008 में G20 शिखर सम्मेलन के पहले प्रधानमंत्री थे और वैश्विक नेताओं के बीच उनकी गहरी प्रतिष्ठा थी। उनके आर्थिक ज्ञान ने उन्हें विश्व स्तर पर सम्मान दिलाया।”
पाकिस्तान से शांति स्थापित करने की कोशिशें
पंकज सरन ने बताया कि डॉ. सिंह का मानना था कि भारत का भविष्य पश्चिमी देशों के साथ अच्छे संबंधों में है, और उन्होंने अपने पड़ोसियों के साथ शांति स्थापित करने की पूरी कोशिश की। पाकिस्तान के साथ शांति स्थापित करने के उनके प्रयासों के बारे में बात करते हुए पंकज सरन ने कहा, “उन्होंने पाकिस्तान के साथ शांति के लिए बहुत मेहनत की, लेकिन उनके प्रयास सफल नहीं हो सके। 26/11 मुंबई हमले ने उन्हें गहरा आघात पहुंचाया।”
खाड़ी देशों और विदेश नीति में योगदान
यह केवल पाकिस्तान तक ही सीमित नहीं था; डॉ. सिंह ने खाड़ी देशों के साथ भी भारत के संबंधों को मजबूत किया। उन्होंने सऊदी अरब का दौरा किया, जो उस समय भारतीय प्रधानमंत्रियों के लिए एक दुर्लभ घटना थी। पंकज सरन ने कहा कि डॉ. सिंह ने विदेशों में भारत की छवि को बेहद मजबूत किया।
भारत-अमेरिका परमाणु समझौता: एक ऐतिहासिक उपलब्धि
पंकज सरन ने कहा कि डॉ. सिंह को उनके आर्थिक और विदेश नीति संबंधी योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा। 1991 में शुरू हुए उनके आर्थिक सुधारों ने भारत की दिशा बदल दी। विदेश नीति के क्षेत्र में भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में गिना जाएगा।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन ने भी डॉ. सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “डॉ. सिंह भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी के सबसे बड़े समर्थकों में से एक थे, और उनके प्रयासों ने पिछले दो दशकों में हमारे देशों के संबंधों की नींव रखी।”
एक असाधारण नेता की विरासत
डॉ. सिंह को उनके खुले विचारों और सीखने की इच्छा के लिए भी जाना जाता था। पंकज सरन ने कहा, “वे हमेशा पढ़ने, समझने और दूसरे के विचारों को सुनने के लिए तैयार रहते थे। वे गैर-गांधी परिवार के कांग्रेस नेताओं में से एक महान नेता थे, और 10 वर्षों तक प्रधानमंत्री के रूप में सेवा देना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि थी।”
भारत ने डॉ. सिंह के रूप में एक ऐसा नेता खो दिया है, जिसने अपनी नीतियों और दृष्टिकोण से देश को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनका जीवन और कार्य हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे।