जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस पार्टी की ओर से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर उठाए गए सवालों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियां ईवीएम को तभी सही मानती हैं जब वे चुनाव जीतती हैं, और जब हारती हैं तो इसे दोष देने लगती हैं।
उमर अब्दुल्ला ने पीटीआई से बात करते हुए कहा, “ईवीएम को लेकर मुझे कोई समस्या नहीं है, अगर आप जीतने पर भी इसका विरोध करें। लेकिन जब आप चुनाव हारते हैं और उसी ईवीएम को दोषी ठहराते हैं, तो यह सही नहीं है। अगर आप किसी चीज़ पर भरोसा नहीं करते, तो फिर उससे चुनाव क्यों लड़ते हैं?”
हाल ही में कांग्रेस पार्टी ने हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में हार के बाद पेपर बैलेट की वापसी की मांग की थी। कांग्रेस का आरोप था कि ईवीएम में गड़बड़ी है और ये विश्वासनीय नहीं हैं। लेकिन उमर अब्दुल्ला ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि ईवीएम के परिणाम में कोई बदलाव नहीं आता, चाहे चुनाव के नतीजे जैसे भी हों।
उमर अब्दुल्ला ने अपने अनुभव का हवाला देते हुए कहा, “एक दिन लोग आपको चुनते हैं, और अगले ही दिन वे आपको नकार सकते हैं। मैंने खुद लोकसभा चुनाव हारने के बाद कभी भी ईवीएम को दोष नहीं दिया। जब हम जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में जीते थे, तो हमने कभी मशीनों को जिम्मेदार नहीं ठहराया।”
उमर अब्दुल्ला की यह टिप्पणी उनके और कांग्रेस के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाती है। जम्मू-कश्मीर में सितंबर में हुए विधानसभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने 42 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को महज 6 सीटें मिलीं।
जब उनसे पूछा गया कि क्या उनकी विचारधारा भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) से मिलती है, तो अब्दुल्ला ने साफ तौर पर कहा, “भगवान न करे!” उन्होंने यह भी कहा, “मुझे लगता है कि जो सही है, वही सही है। दिल्ली में सेंट्रल विस्टा परियोजना के साथ जो हो रहा है, वह सही दिशा में है। नया संसद भवन बनाना बहुत अच्छा विचार है, क्योंकि पुराना भवन अपनी उपयोगिता खो चुका था।”
इस तरह, उमर अब्दुल्ला ने न सिर्फ ईवीएम पर कांग्रेस के आरोपों को खारिज किया, बल्कि अपनी पार्टी की जीत को भी सही ठहराया और भारतीय राजनीति में अपने विचारों को लेकर स्पष्टता दिखाई।