One Nation One Election: वक़्फ़ बिल के बाद मोदी सरकार ने विपक्ष को दिया नया सरदर्द

One Nation One Election: वक़्फ़ बिल के बाद मोदी सरकार ने विपक्ष को दिया नया सरदर्द
One Nation One Election: वक़्फ़ बिल के बाद मोदी सरकार ने विपक्ष को दिया नया सरदर्द

नई दिल्ली: वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक 2024 के पारित होने के बाद अब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की अगली बड़ी तैयारी ‘एक देश, एक चुनाव’ (ONOE) को लेकर है। सरकार इसे देश के विकास की दिशा में एक “गेम चेंजर” मान रही है, तो वहीं विपक्ष इसे “संवैधानिक संकट” बता रहा है।

गृह मंत्री अमित शाह ने दिया बड़ा बयान

News18 के Rising Bharat Summit में बोलते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “हम ‘एक देश, एक चुनाव’ के मुद्दे को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं। अगले दो-तीन सालों में ऐसा माहौल बनेगा कि कोई भी पार्टी इसका विरोध नहीं कर पाएगी, क्योंकि यह देशहित में है।”

अमित शाह ने कांग्रेस पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर कांग्रेस को ONOE असंवैधानिक लगता है, तो फिर आज़ादी के बाद पहले तीन आम चुनाव कैसे एकसाथ हुए? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सत्ता की लालच में कांग्रेस ने सात राज्यों की विधानसभा भंग कर एक साथ चुनाव कराए थे। “अब वही कांग्रेस इसे लोकतंत्र के खिलाफ बता रही है,” शाह ने कहा। पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ONOE को भारत की प्रगति के लिए ‘गेम चेंजर’ करार दिया।

क्या है ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल?

‘एक देश, एक चुनाव’ को लागू करने के लिए सरकार ने संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया है। ये विधेयक लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एकसाथ कराने के लिए संविधान में बड़े बदलाव की बात करते हैं।

इसमें प्रस्तावित है कि संविधान में नया अनुच्छेद 82A जोड़ा जाए, और अनुच्छेद 83, 172 और 327 में भी संशोधन हो ताकि संसद और राज्य विधानसभाओं की अवधि को एकसमान किया जा सके।

दो चरणों में लागू होगी योजना

सरकार की योजना के अनुसार यह विधेयक दो चरणों में लागू होगा:

  1. पहला चरण: लोकसभा और विधानसभा चुनावों का एक साथ आयोजन।
  2. दूसरा चरण: आम चुनाव के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनावों का आयोजन।

संयुक्त संसदीय समिति का गठन

जनवरी 2025 में ‘एक देश, एक चुनाव’ पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की पहली बैठक हो चुकी है। यह समिति विधेयकों की समीक्षा कर रही है और आने वाले दिनों में इसे संसद में पेश किए जाने की तैयारी है।

सियासत गर्म, फैसले पर देश की नजर

ONOE पर बहस अब संसद से निकलकर जनता के बीच पहुँच चुकी है। जहां सरकार इसे प्रशासनिक खर्चों में कटौती और राजनीतिक स्थिरता की दिशा में क्रांतिकारी कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे संघीय ढांचे पर हमला करार दे रहा है।

अब देखना दिलचस्प होगा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ का यह गेम आखिरकार भारतीय राजनीति में कौन सी नई इबारत लिखता है – एक सुनहरा अध्याय या फिर विवादों से घिरा प्रयोग?

Digikhabar Editorial Team
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