राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) और लोकसभा में विपक्षी नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष और सदस्य के चयन को लेकर असहमति जताई है। दोनों नेताओं ने कहा कि चयन प्रक्रिया मौलिक रूप से flawed (खराब) थी और इसमें पारंपरिक परामर्श और सहमति की प्रक्रिया को नजरअंदाज किया गया।
मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने अपने असहमति नोट में कहा, “यह प्रक्रिया पहले से तय थी और इसमें निष्पक्षता और समानता के सिद्धांतों की अवहेलना की गई, जो चयन समिति की विश्वसनीयता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अगुवाई वाली समिति ने अपनी बहुमत का उपयोग करते हुए नामों को अंतिम रूप दिया, जबकि बैठक में उठाए गए वैध सवालों और विचारों को नजरअंदाज किया गया।
उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) एक महत्वपूर्ण संवैधानिक संस्था है, जो सभी नागरिकों के मौलिक मानवाधिकारों की रक्षा करने के लिए जिम्मेदार है, विशेषकर उन वर्गों के लिए जो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं। उनका कहना था कि आयोग की कार्यक्षमता इस बात पर निर्भर करती है कि इसके सदस्य कितने विविध और समावेशी हैं। एक विविध नेतृत्व NHRC को विभिन्न समुदायों के अद्वितीय चुनौतियों के प्रति संवेदनशील बनाए रखता है।
मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन (National Human Rights Commission) के अध्यक्ष पद के लिए जस्टिस (रिटायर्ड) रोहिंटन फाली नारिमन और कुट्टियील मैथ्यू जोसेफ के नामों का प्रस्ताव किया। उन्होंने कहा कि दोनों का चयन मेरिट और समावेशिता के दृष्टिकोण से किया गया है। नारिमन, जो पारसी समुदाय से हैं, जिनको उनकी संविधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है। वहीं, जोसेफ, जो एक पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज हैं, उनका चयन भी उनकी कार्यों के कारण किया गया है, जिसमें उन्होंने हाशिए के समूहों की रक्षा की है।
इसके अलावा, मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने जस्टिस (रिटायर्ड) एस मुरलीधर और अकिल कुरीशी के नामों का प्रस्ताव भी किया। दोनों न्यायाधीशों का रिकॉर्ड मानवाधिकारों की रक्षा में बेहतरीन रहा है। मुरलीधर ने सामाजिक न्याय के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं, जबकि कुरीशी ने संवैधानिक सिद्धांतों और सरकारी जवाबदेही को सशक्त किया है।
कुरीशी ने राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया और गुजरात उच्च न्यायालय में रहते हुए फर्जी मुठभेड़ों से संबंधित मामलों की सुनवाई की थी। मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने इस बात पर भी जोर दिया कि चयन प्रक्रिया में क्षेत्रीय, जाति, समुदाय और धार्मिक विविधता को ध्यान में रखते हुए संतुलन बनाए रखना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि अगर इस संतुलन को नजरअंदाज किया गया तो आयोग की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता पर सवाल उठ सकते हैं। “हमारे द्वारा प्रस्तावित नाम आयोग की विविधता और समावेशिता की भावना को दर्शाते हैं,” मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने अपने असहमति नोट में कहा।
हालांकि, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने सोमवार को जस्टिस (रिटायर्ड) वी रामासुब्रमणियन को NHRC का अध्यक्ष और प्रियंक कनोणगो और जस्टिस (रिटायर्ड) विद्युत रंजन सारंगी को आयोग के सदस्य के रूप में नियुक्त किया। जस्टिस रामासुब्रमणियन 2019 में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे थे और उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की थी, जिनमें 2016 के नोटबंदी और रिश्वत मामलों में परिस्थितिक साक्ष्य की वैधता से संबंधित मामले शामिल थे। इस प्रक्रिया से विपक्षी नेताओं के विरोध के बावजूद, आयोग के चयन के लिए सरकार द्वारा इस फैसले की पुष्टि की गई है।