
नई दिल्ली: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर सोमवार देर रात कुछ फ्लाइट-ट्रैकिंग स्क्रीनशॉट वायरल होने के बाद अमेरिका और पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग को लेकर अटकलों का दौर तेज हो गया है।
ये तस्वीरें पहली बार X उपयोगकर्ता @vikspeaks1 द्वारा साझा की गईं, जिनमें कथित तौर पर कई अमेरिकी सैन्य विमान, विशेष रूप से US Air Force के C-17 विमान, पाकिस्तान के ऊपर उड़ान भरते नजर आ रहे हैं।
@vikspeaks1 ने अपने 8 जुलाई के पोस्ट में लिखा:
“The American Airforce is doing overtime to supply Pakistan with only God knows what.”
(“अमेरिकी वायुसेना ओवरटाइम काम कर रही है पाकिस्तान को कुछ ऐसा पहुंचाने के लिए जिसे सिर्फ भगवान ही जानता है।”)
इन तस्वीरों को भारतीय वायुसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी एयर मार्शल संजीव कपूर ने भी साझा किया। उन्होंने व्यंग्य करते हुए लिखा:
“पाकिस्तान अमेरिका का सबसे गहरा मित्र है, इसकी स्थापना के समय से। ऑपरेशन सिंदूर उनके सिलेबस से बाहर का सवाल था, इसलिए अब सहयोगी से अतिरिक्त ट्यूशन क्लासेस मिल रही हैं।”
अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं
इन फ्लाइट ट्रैकिंग तस्वीरों को लेकर अब तक न तो अमेरिकी रक्षा विभाग (DoD) और न ही पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) ने कोई आधिकारिक टिप्पणी दी है। इससे यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ये उड़ानें सामान्य रसद मिशन थीं, ओवरफ्लाइट अनुमति से जुड़ी थीं या फिर कोई विशेष सैन्य गतिविधि का हिस्सा थीं।
क्यों मायने रखता है ये वक्त?
हाल के महीनों में अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों में गर्मी लौटती दिख रही है।
- जून में अमेरिकी मीडिया ने डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर का “गरमजोशी से स्वागत” करने की खबर दी थी। इसे द्विपक्षीय संबंधों में संभावित “बड़े रि-सेट” की ओर इशारा माना गया।
- ट्रंप ने पिछले महीने भारत-पाक सीमा पर मई में हुई सीज़फायर का श्रेय खुद को देते हुए पाकिस्तान की नेतृत्व की तारीफ की। उन्होंने कहा:
“उन्होंने वह युद्ध रोका, मैं उन पर गर्व करता हूं।”
ईरान पर नजर?
विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका पाकिस्तान की मदद से ईरान की पूर्वी सीमा पर आतंकी गतिविधियों पर नजर रखना चाहता है।
एक दक्षिण एशिया सुरक्षा विशेषज्ञ ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा:
“अमेरिका को ईरान पर नजर रखने के लिए पाकिस्तान की जरूरत है।”
सेन्ट्रल कमांड की रिपोर्ट
11 जून को यूएस हाउस आर्म्ड सर्विसेज कमेटी के सामने CENTCOM प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला ने पाकिस्तान को “ISIS-K आतंकियों को पकड़ने में बेहतरीन साझेदार” बताया था। इससे दोनों देशों के बीच खुफिया सहयोग की पुष्टि होती है।
हालांकि अभी तक इन उड़ानों की प्रकृति को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है, लेकिन यह घटनाक्रम साफ तौर पर अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में आ रहे संभावित बदलाव और रणनीतिक समीकरणों की ओर संकेत करता है। आने वाले दिनों में दोनों देशों की तरफ से इस पर आधिकारिक बयान का इंतजार रहेगा।