राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सात बार के सांसद भर्तृहरि महताब को दिलाई शपथ, जाने विपक्ष क्यों है नाराज

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सात बार के सांसद भर्तृहरि महताब को दिलाई शपथ, जाने विपक्ष क्यों है नाराज
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सात बार के सांसद भर्तृहरि महताब को दिलाई शपथ, जाने विपक्ष क्यों है नाराज

सात बार के सांसद भर्तृहरि महताब ने सोमवार को 18वीं लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ ली.
राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई. आठवीं बार सांसद रहे कांग्रेस नेता के सुरेश की जगह 7वीं बार के बीजेपी सांसद भर्तृहरि मेहताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किए जाने के बाद India ब्लॉक के सांसदों ने प्रोटेम स्पीकर का सहयोग न करने का फैसला किया है.

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस और India ब्लॉक पार्टियां इस बात से नाराज हैं कि 8 बार के कांग्रेस सांसद के सुरेश की जगह मेहताब को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने से परंपरा टूट गई है.

सरकार के फैसले पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की

कांग्रेस के वरिष्ठतम दलित सांसद कोडिकुन्निल सुरेश की जगह महताब को लोकसभा का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने के केंद्र सरकार के फैसले पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि भाजपा द्वारा की गई नियुक्ति वरिष्ठ सदस्य को नियुक्त करने की पारंपरिक परंपरा से हटकर है.

कांग्रेस नेता के सुरेश ने कहा कि सदन में आठवीं बार के सांसद हैं, लेकिन सातवीं बार के सांसद को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया है.

के सुरेश ने कहा, “हम दावा कर रहे हैं कि 8वीं बार के सांसद को प्रोटेम स्पीकर होना चाहिए. उन्होंने गलत किया है और अब पूरा देश भाजपा सरकार के फैसले की आलोचना कर रहा है.”

सरकार ने सभी परंपराओं का उल्लंघन किया है- हिबी ईडन

कांग्रेस सांसद हिबी ईडन ने कहा कि एनडीए सरकार ने सभी परंपराओं और रीति-रिवाजों का उल्लंघन किया है. उन्होंने कहा, “भारत की संसद से जुड़ी कुछ परंपराएं हैं और हमेशा सबसे वरिष्ठ सदस्य को, चाहे वह किसी भी पार्टी का हो, प्रोटेम स्पीकर बनने का मौका दिया जाता है. यह महज दो दिन की बात है, लेकिन यह सदस्य को दिया गया सम्मान है, चाहे वह किसी भी पार्टी से हो. दुर्भाग्य से, एक दलित सदस्य, जो केरल से 8 बार का सांसद है, को प्रोटेम स्पीकर बनने के अधिकार से वंचित कर दिया गया है इस देश के दलित और पीड़ित समुदाय के प्रति एनडीए सरकार ने सभी परंपराओं और रीति-रिवाजों का उल्लंघन किया है. भले ही यह सत्र मुश्किल से 8 दिनों का है, लेकिन इसमें विपक्ष के साथ आम सहमति होनी चाहिए थी क्योंकि हम लगभग 45 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.”

Digikhabar Editorial Team
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