नई दिल्ली: न्यायपालिका में कथित भ्रष्टाचार के मामले में फंसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने की प्रक्रिया अब औपचारिक रूप से लोकसभा में शुरू होने जा रही है। संसद में विपक्ष द्वारा राज्यसभा में लाया गया प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया गया, जिसके बाद सर्वदलीय सहमति से लोकसभा में यह प्रस्ताव लाया जा रहा है।
शुक्रवार को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने जानकारी दी कि सभी राजनीतिक दलों ने मिलकर यह निर्णय लिया है कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार जैसे संवेदनशील मुद्दे पर एकजुट होकर कार्रवाई की जानी चाहिए। रिजिजू ने कहा, “कार्यवाही लोकसभा में शुरू होगी, इस पर कोई संदेह नहीं होना चाहिए।”
152 सांसदों के हस्ताक्षर वाले प्रस्ताव पर होगी सुनवाई
रिजिजू ने बताया कि लोकसभा में प्रस्तुत किए गए प्रस्ताव पर सत्ताधारी गठबंधन और विपक्ष के कुल 152 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। यह प्रस्ताव 21 जुलाई को दिया गया था, उसी दिन विपक्ष द्वारा राज्यसभा में भी एक अलग प्रस्ताव दाखिल किया गया था, जिसे स्वीकार नहीं किया गया।
पूर्व राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को इस प्रस्ताव की प्राप्ति को स्वीकार किया था। उसी शाम उनके अचानक इस्तीफे की घोषणा ने सरकार के भीतर हलचल मचा दी थी।
अब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला एक तीन सदस्यीय जांच समिति के गठन की घोषणा करने वाले हैं, जो न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच करेगी।
क्या होता है जांच समिति में?
जजेज़ (इन्क्वायरी) एक्ट के अनुसार, जांच समिति में तीन सदस्य होते हैं — एक सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या वर्तमान न्यायाधीश, एक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और एक प्रख्यात विधिवेत्ता। चूंकि राज्यसभा में प्रस्ताव स्वीकार नहीं हुआ, इसलिए समिति का गठन केवल लोकसभा अध्यक्ष की ओर से किया जाएगा।
क्या है पूरा मामला
विवाद तब शुरू हुआ जब दिल्ली में न्यायमूर्ति वर्मा के आवास के बाहर आग लगने की घटना के बाद जली हुई मुद्रा के बंडल बरामद हुए। इसके बाद तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की, जिसने न्यायमूर्ति वर्मा को दोषी ठहराया।
हालांकि, दिल्ली उच्च न्यायालय से इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित किए जाने के बाद भी वर्मा ने इस्तीफा नहीं दिया। इसके बाद रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दी गई जिसमें उनके हटाने की सिफारिश की गई।
न्यायमूर्ति वर्मा ने समिति की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है। अब आगे की कार्यवाही संसद में जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर होगी।