
हैदराबाद: तेलंगाना बीजेपी में एक बार फिर से अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई है। गोशामहल से विधायक टी. राजा सिंह ने भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने यह कदम पार्टी हाईकमान द्वारा एन. रामचंदर राव को तेलंगाना प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के फैसले के विरोध में उठाया है।
राजा सिंह ने एक वीडियो संदेश जारी कर बताया कि उन्होंने पार्टी नेतृत्व से प्रदेश अध्यक्ष बनने की इच्छा जताई थी, क्योंकि उन्हें जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त है। लेकिन हाईकमान ने उनकी अनदेखी करते हुए वरिष्ठ नेता और पूर्व एमएलसी रामचंदर राव को तरजीह दी।
“हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाना चाहता था”
राजा सिंह ने कहा कि अगर उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाता, तो वे गोरक्षा विंग की स्थापना करते और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शैली में संगठन को खड़ा करते। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी हिंदुत्व को समर्पित नेता को मिलनी चाहिए, न कि “वीआईपी ट्रीटमेंट” चाहने वालों को।
“अंदरूनी गुटबाज़ी मेरी राह रोक रही थी”
राजा सिंह ने सीधे तौर पर किसी नेता का नाम नहीं लिया, लेकिन पार्टी के भीतर एक गुट पर उनकी राजनीतिक तरक्की रोकने का आरोप लगाया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि उन्होंने किसी नेता से व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं रखी, लेकिन यह निर्णय हिंदुत्व समर्थक कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय है।
रामचंदर राव बनेंगे नए प्रदेश अध्यक्ष
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, एन. रामचंदर राव को प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए सर्वसम्मति से उम्मीदवार चुना गया है। वह सोमवार दोपहर को नामांकन दाखिल करेंगे और मंगलवार को निर्विरोध चुने जाने की संभावना है।
रामचंदर राव एक वरिष्ठ वकील हैं और ABVP और बीजेपी की लीगल सेल में अहम भूमिकाएं निभा चुके हैं। उनकी साफ-सुथरी छवि और ब्राह्मण नेता के रूप में पहचान ने उन्हें हाईकमान की पहली पसंद बनाया।
“प्रदेश अध्यक्ष का चयन कार्यकर्ताओं से होना चाहिए”
राजा सिंह ने बीजेपी के नेतृत्व की आलोचना करते हुए कहा कि प्रदेश अध्यक्ष का चयन शीर्ष नेतृत्व की मर्जी से नहीं, कार्यकर्ताओं के मत से होना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे निर्णयों ने पहले भी पार्टी को नुकसान पहुंचाया है और भविष्य में भी परिणाम अच्छे नहीं होंगे।
बीजेपी ने रविवार को प्रदेश अध्यक्ष चुनाव के लिए औपचारिक अधिसूचना जारी कर दी थी। राजा सिंह का इस्तीफा तेलंगाना बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, खासकर उस समय जब पार्टी आगामी चुनावों की तैयारियों में जुटी है। अब देखना होगा कि हाईकमान इस असंतोष को कैसे संभालता है।