नई दिल्ली: 25वें शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन का आयोजन चीन के तिआनजिन में हुआ, जहाँ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित कई वैश्विक नेताओं ने भाग लिया। यह सम्मेलन क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद, आर्थिक सहयोग और बहुपक्षीय कूटनीति पर चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ।
भारत-रूस संबंधों में और मजबूती
प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात में द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने पर सहमति बनी। रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और तकनीक जैसे अहम क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा हुई। पीएम मोदी ने दिसंबर में भारत में होने वाले 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन के लिए पुतिन को आमंत्रित किया। साथ ही, रूस-यूक्रेन संघर्ष पर शांति की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया।
आतंकवाद के खिलाफ मोदी का सख्त संदेश
सम्मेलन के प्लेनरी सत्र में बोलते हुए पीएम मोदी ने आतंकवाद को “मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा” बताया और वैश्विक समुदाय से “ज़ीरो टॉलरेंस” की नीति अपनाने की अपील की। उन्होंने पहलगाम हमले का हवाला देते हुए राज्य प्रायोजित आतंकवाद पर वैश्विक चुप्पी पर सवाल उठाए और दोहरे मापदंडों को सिरे से खारिज किया।
7 वर्षों बाद मोदी-शी जिनपिंग की द्विपक्षीय वार्ता
यह शिखर सम्मेलन इसलिए भी महत्वपूर्ण रहा क्योंकि पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 2018 के बाद पहली द्विपक्षीय बातचीत हुई। दोनों नेताओं ने सीमा विवाद को शांतिपूर्वक सुलझाने और सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिरता लाने के प्रयासों पर चर्चा की। 2024 के कज़ान सम्मेलन के बाद से प्रमुख टकराव वाले क्षेत्रों से सेनाओं की वापसी पर सहमति बनी है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा और फ्लाइट्स की बहाली
भारत-चीन संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में कैलाश मानसरोवर यात्रा को पांच साल बाद फिर से शुरू करने की घोषणा की गई। साथ ही, भारत और चीन के बीच डायरेक्ट फ्लाइट्स की बहाली की गई, जिससे व्यापार, पर्यटन और लोगों के बीच संपर्क को बल मिलेगा।
बहुपक्षीय सहयोग और वैश्विक न्याय का समर्थन
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि भारत “Reform, Perform, Transform” के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है और वैश्विक समुदाय को भारत की विकास यात्रा में भागीदार बनने का न्योता दिया। शी जिनपिंग ने भी संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को बनाए रखने, एकतरफावाद का विरोध, और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को मजबूत करने की अपील की। उन्होंने SCO देशों में 100 लघु विकास परियोजनाएं शुरू करने की भी घोषणा की।
रूस-यूक्रेन युद्ध पर शांति की अपील
मोदी और पुतिन के बीच बातचीत में यूक्रेन संकट पर भी चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने राजनयिक समाधान पर जोर दिया और युद्ध के जल्द अंत की आवश्यकता पर सहमति जताई। SCO शिखर सम्मेलन 2025 भारत के लिए एक कूटनीतिक उपलब्धि रहा, जहाँ प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद, बहुपक्षीय सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भारत की भूमिका को मजबूती से प्रस्तुत किया। पुतिन और जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय मुलाकातों ने यह दर्शाया कि भारत अब केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर एक निर्णायक भागीदार बन चुका है।