नई दिल्ली: यमन में हत्या के आरोप में सजा पाए भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी रद्द होने की खबरों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। समाचार एजेंसी एएनआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया है कि कुछ व्यक्तियों द्वारा निमिषा प्रिया की मौत की सजा रद्द होने को लेकर जो जानकारी साझा की जा रही है, वह गलत है।
इससे पहले भारतीय ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबक्कर मुसलयार के कार्यालय ने एक बयान जारी कर कहा था कि निमिषा प्रिया की मौत की सजा, जिसे पहले निलंबित किया गया था, उसे पूरी तरह से रद्द कर दिया गया है। बयान में कहा गया, “सना में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पहले अस्थायी रूप से निलंबित की गई मौत की सजा को अब पूरी तरह से रद्द किया जाए।” हालांकि, ग्रैंड मुफ्ती के कार्यालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यमन सरकार की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक लिखित पुष्टि अब तक प्राप्त नहीं हुई है। भारतीय अधिकारी, जो इस मामले को देख रहे हैं, उन्होंने भी अब तक मुसलयार या अन्य किसी स्रोत द्वारा किए गए दावों की पुष्टि नहीं की है। गौरतलब है कि निमिषा प्रिया की फांसी 16 जुलाई को होने वाली थी, जिसे भारतीय अधिकारियों और प्रवासी भारतीयों के हस्तक्षेप के बाद टाल दिया गया था।
निमिषा प्रिया को क्यों दी गई मौत की सजा?
केरल के पलक्कड़ जिले की निवासी निमिषा प्रिया 2008 में बेहतर रोज़गार की तलाश में यमन गई थीं। वहां एक नर्स के तौर पर काम करने के बाद उन्होंने यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ साझेदारी में एक क्लिनिक शुरू किया।
बाद में दोनों के रिश्तों में तनाव आ गया। रिपोर्टों के मुताबिक, महदी ने न केवल उनका उत्पीड़न किया बल्कि झूठा दावा किया कि वह उनका पति है और उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया।
निमिषा ने 2017 में अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए महदी को बेहोश करने की कोशिश की, लेकिन महदी की कथित रूप से ओवरडोज के कारण मौत हो गई। इसके बाद 2018 में उन्हें गिरफ्तार किया गया और 2020 में यमन की अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई।
सुप्रीम कोर्ट में चल रही है सुनवाई
इस महीने की शुरुआत में भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि निमिषा प्रिया की फांसी पर रोक लगा दी गई है। उन्होंने बताया कि सरकार उनकी सुरक्षित वापसी के लिए प्रयासरत है और हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं। कोर्ट ने भी केंद्र सरकार की कोशिशों की सराहना की। मामले की अगली सुनवाई 14 अगस्त को होगी। याचिका में केंद्र सरकार से कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से निमिषा की जान बचाने की मांग की गई है। फिलहाल, निमिषा की सजा को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है और आधिकारिक पुष्टि का इंतजार है।