UCC की जरूरत है या नही? नियम गलत या सही?

UCC यानि सामान नागरिक संहिता का मतलब है देश में रहने वाले सभी समुदाय और जाति के लोगों के लिए एक ही कानून होना। यह तब लागू किया जाता है जब सभी लोगों को एक समान अधिकार दिया जाना चाहिए। अन्य शब्दों में UCC सबको कानून के एक ही पलड़े में रखने का जरिया है।

इसकी शुरुआत कब हुई?

पहली बार UCC (समान नागरिक संहिता) का जिक्र 1835 में ब्रिटिश सरकार की रिपोर्ट में किया गया था, और कहा गया था कि अपराध, ठेके और सबूतों जैसे मामलों में सबके लिए समान कानून होना चाहिए, और उसे वक्त UCC का उद्देश्य केवल सभी लोगों के अपराधों को एक ही कानूनी नजर से देखना था।
पर आज के समय में UCC अलग धर्मो के कानून में समानता लाने के लिए प्रयोग हो रहा है।

UCC के उत्तराखंड में क्या नियम है?

UCC मे कानून बनाए गए हैं कि विवाह के बाद जोड़े को अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा और केवल शादीशुदा जोड़े को ही नहीं बल्कि लिव-इन रिलेशनशिप मैं रहने वाले जोड़े का भी रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य है, यदि ना हुआ तो जुर्माना और सजा भुगतनि पढ़ सकती है।
UCC में सभी के लिए विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने जैसे कानून पर एक ही जैसे नियम बनाए गए हैं।

क्या हैं फायदे और क्या नुकसान?

फायदे बताए जाए तो गिनती ज्यादा है:

  1. कोर्ट में पड़े मामलों का जल्द ही निपटारा हो सकेगा।
  2. लोगों के लिए शादी भया मजाक नहीं बनेगा।
  3. पुरुष लाचर कानून का लाभ उठाकर एक से अधिक विवाह करते रहे पर UCC से अब इस पर रोक लग जाएगी।
  4. UCC नागरिकों के बीच अधिकारों और समानताओं को बढ़ावा देने में प्रगतिशील होगा।
  5. एक विशेष धर्म की विचारधारा लागू नहीं होगी समाज में।

नुकसान!

1.अन्य धर्म को अपने नियमों से विपरीत नियमों का पालन करना पड़ेगा।
2.लोगों की जन्म से बनी विचारधारा और नियमों को पालन करने के तरीके में बदलाव होगा, जिससे धार्मिक लोगों को आपत्ति हो सकती है।

Digikhabar Editorial Team
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