Valmiki 2025: आदिकवि की जयंती पर जानें तिथि, महत्त्व और महर्षि वाल्मीकि की प्रेरक कथा

Valmiki 2025: आदिकवि की जयंती पर जानें तिथि, महत्त्व और महर्षि वाल्मीकि की प्रेरक कथा
Valmiki 2025: आदिकवि की जयंती पर जानें तिथि, महत्त्व और महर्षि वाल्मीकि की प्रेरक कथा

नई दिल्ली: हर साल देशभर में वाल्मीकि जयंती श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है। यह दिन उन महान ऋषि महर्षि वाल्मीकि को समर्पित है, जिन्होंने विश्व को रामायण जैसा अमर ग्रंथ प्रदान किया। उन्हें आदिकवि कहा जाता है संस्कृत साहित्य के प्रथम कवि, जिनकी रचनाएं आज भी भारतीय संस्कृति और दर्शन की नींव मानी जाती हैं।

वाल्मीकि जयंती 2025: तिथि और समय

इस वर्ष वाल्मीकि जयंती मंगलवार, 7 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। यह तिथि अश्विन मास की पूर्णिमा के दिन पड़ती है।

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 6 अक्टूबर को दोपहर 12:23 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 7 अक्टूबर को सुबह 9:16 बजे तक
    (स्रोत: द्रिक पंचांग)

कौन थे महर्षि वाल्मीकि?

महर्षि वाल्मीकि को रामायण के रचयिता और पहले संस्कृत कवि के रूप में जाना जाता है। रामायण के सात कांडों में लगभग 24,000 श्लोकों की रचना उन्होंने की, जिसमें उत्तर कांड भी शामिल है।

रामायण के अनुसार, वे भगवान राम के समकालीन थे। जब देवी सीता को अयोध्या से वनवास मिला, तब महर्षि वाल्मीकि ने ही उन्हें अपने आश्रम में आश्रय दिया था। यहीं लव और कुश का जन्म हुआ और उनका पालन-पोषण भी वाल्मीकि ने किया। उन्होंने ही उन्हें रामायण की कथा सिखाई, जिससे वे इसके पहले गायक और प्रचारक भी बने।

रत्नाकर से वाल्मीकि बनने की कहानी

वाल्मीकि का जीवन परिवर्तन की अद्भुत मिसाल है। वे पहले रत्नाकर नामक डाकू थे, जो राहगीरों को लूटकर अपने परिवार का पालन करते थे। एक दिन महर्षि नारद से भेंट ने उनकी जिंदगी बदल दी। नारद ने उनसे पूछा कि क्या उनके पापों का बोझ उनका परिवार साझा करेगा? इस प्रश्न से रत्नाकर की आत्मा जाग उठी।

इसके बाद उन्होंने राम नाम का जाप शुरू किया और कठोर तपस्या में लीन हो गए। वर्षों की साधना में उनके चारों ओर वल्मीकों (चींटी के टीले) ने घर बना लिया। जब वे तप से बाहर निकले, तो वे वाल्मीकि बन चुके थे — “वह जो वल्मीक (चींटी के टीले) से जन्मा हो।”

वाल्मीकि जयंती का महत्व

वाल्मीकि जयंती केवल एक पर्व नहीं, बल्कि ज्ञान, करुणा और मोक्ष की प्रतीक है। इस दिन मंदिरों, आश्रमों में विशेष पूजा, रामायण पाठ, प्रभात फेरियां और भव्य शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि आत्मज्ञान और भक्ति के माध्यम से कोई भी व्यक्ति परिवर्तन की राह पकड़ सकता है, चाहे उसका अतीत कैसा भी क्यों न हो। वाल्मीकि जयंती न केवल कवि वाल्मीकि का जन्मदिन है, बल्कि यह दिन हमें यह सिखाता है कि हर मानव में बदलाव की संभावना होती है, बशर्ते वह ईश्वर के मार्ग पर चलने का संकल्प ले।

Pushpesh Rai
एक विचारशील लेखक, जो समाज की नब्ज को समझता है और उसी के आधार पर शब्दों को पंख देता है। लिखता है वो, केवल किताबों तक ही नहीं, बल्कि इंसानों की कहानियों, उनकी संघर्षों और उनकी उम्मीदों को भी। पढ़ना उसका जुनून है, क्योंकि उसे सिर्फ शब्दों का संसार ही नहीं, बल्कि लोगों की ज़िंदगियों का हर पहलू भी समझने की इच्छा है।