क्या होता है Inheritance Tax, राजनीति में क्यों है चर्चा?
क्या होता है Inheritance Tax, राजनीति में क्यों है चर्चा?
देश में लंबे समय से एस्टेट टैक्स की वापसी की चर्चा चल रही है। सरकार इसे उत्तराधिकार कर यानी कि इनहेरिटेंस टैक्स के नाम से लागू करने की योजना बना रही है। ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी देश में इस तरह का कर लगाने के पक्ष में है। पिछले साल कई रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र किया गया था कि सरकार ने उत्तराधिकार या इनहेरिटेंस टैक्स लगाने को लेकर लोगों से सुझाव और उनकी प्रतिक्रियाएं मांगी हैं। हालांकि, इससे आम आदमी पर कोई असर नहीं होगा।
क्या है इनहेरिटेंस टैक्स
इनहेरिटेंस टैक्स को पहले एस्टेट ड्यूटी कहा जाता था। इसमें पुरखों से विरासत में मिली संपत्ति पर टैक्स लग सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि इस टैक्स की दर 5-10 प्रतिशत हो सकती है। इससे पहले देश में साल 1953 से लेकर साल 1986 तक उत्तराधिकार कर लागू था, जिसे बाद में राजीव गांधी सरकार ने खत्म कर दिया। इनहेरिटेंस टैक्स के बारे में यह भी कहा जा रहा है कि अगर यह टैक्स देश में लागू हुआ तो फैमिली ट्रस्ट इसके दायरे से बाहर होंगे। यही कारण है कि उत्तराधिकार टैक्स की वापसी की सुगबुगाहट के बीच हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (एचएनआई) फैमिली ट्रस्ट बनाकर अपनी संपत्ति बचाने में लग गए।
एस्टेट ड्यूटी क्या है
भारत में साल 1935 में पहली बार संपदा शुल्क यानी कि एस्टेट ड्यूटी को लागू किया गया था। यह इंग्लैंड में लागू संपदा शुल्क पर आधारित था। इसमें किसी व्यक्ति की मृत्यु पर उसके उत्तराधिकारी को मिलने वाली मुख्य संपत्ति पर वसूला जाता था। मुख्य संपत्ति मृत व्यक्ति की वह संपत्ति होती थी जिसे उसके जीवित रहते बाजार में बेचा जा सकता हो। यह कर भारत में साल 1986 तक लागू रहा। राजीव गांधी की सरकार ने इस कर को खत्म कर दिया था। हाल ही में अपने एक संबोधन में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक बार फिर इसके नए स्वरुप इनहेरिटेंस टैक्स के बारे में चर्चा की है। उन्होंने कहा है कि पश्चिमी देशों में इस तरह के टैक्स से अस्पतालों और शिक्षण संस्थानों को काफी मात्रा में अनुदान मिलता है।