कौन है मेजर रोहित, जिसने रेलवे स्टेशन पर किया महिला की डिलीवरी, सेना प्रमुख ने किया सम्मानित

कौन है मेजर रोहित, जिसने रेलवे स्टेशन पर किया महिला की डिलीवरी, सेना प्रमुख ने किया सम्मानित
कौन है मेजर रोहित, जिसने रेलवे स्टेशन पर किया महिला की डिलीवरी, सेना प्रमुख ने किया सम्मानित

झांसी: झांसी रेलवे स्टेशन पर सोमवार को मानवीयता और कर्तव्यपरायणता की एक अद्भुत मिसाल देखने को मिली, जब भारतीय सेना के मेजर बचवाला रोहित ने प्रसव पीड़ा से गुजर रही एक महिला की आपातकालीन स्थिति में मदद कर उसकी और नवजात की जान बचा ली। इस साहसिक और मानवीय कार्य के लिए सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मेजर रोहित को उनकी वर्दी पर प्रशंसा चिह्न लगाकर सम्मानित किया।

क्या है पूरा मामला?

पांच जुलाई को मेजर रोहित छुट्टियों पर हैदराबाद जाने के लिए झांसी रेलवे स्टेशन पर मौजूद थे। तभी उन्होंने देखा कि एक गर्भवती महिला व्हीलचेयर से गिर गई और तेज़ प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी। मौके पर मेडिकल सहायता उपलब्ध नहीं थी। बिना देर किए, मेजर रोहित ने स्थिति को संभाला और एक तौलिया, चाकू और हेयर क्लिप जैसे प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध सीमित साधनों का उपयोग कर आपातकालीन प्रसव कराया।

मां और नवजात दोनों सुरक्षित

मेजर रोहित की तत्परता और चिकित्सकीय सूझबूझ की वजह से महिला और नवजात दोनों की जान बच गई। बाद में दोनों को स्थिर करने के बाद सरकारी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। सेना ने मेजर रोहित की इस निःस्वार्थ सेवा को पूरे देश के सामने प्रस्तुत किया और ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर इस घटना का विवरण और तस्वीरें साझा कीं, जिसमें मेजर रोहित नवजात को गोद में लिए दिखाई दे रहे हैं।

सेना का बयान

भारतीय सेना ने अपने आधिकारिक बयान में कहा:

“कर्तव्य से परे निःस्वार्थ सेवा का सम्मान। जनरल उपेंद्र द्विवेदी, सीओएएस, ने मेजर बचवाला रोहित की असाधारण पेशेवर कुशलता और निःस्वार्थ प्रतिबद्धता के लिए प्रशंसा की है।”

सेना ने इस घटना को “कर्तव्य से आगे जाकर की गई सेवा का प्रतीक” बताया और मेजर रोहित को उन अधिकारियों में गिना जो हर परिस्थिति में देशवासियों के जीवन की रक्षा के लिए तैयार रहते हैं।

हर तरफ तारीफ

मेजर रोहित के इस कार्य की सोशल मीडिया पर जमकर तारीफ हो रही है। आम नागरिकों से लेकर अधिकारियों और नेताओं तक ने उनकी मानवीय भावना और त्वरित प्रतिक्रिया की सराहना की है।

भारतीय सेना के इस जवान ने यह साबित कर दिया कि वर्दी पहनना केवल देश की सीमाओं की रक्षा करना ही नहीं, बल्कि हर नागरिक की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहना भी है। मेजर रोहित का यह साहसी कदम आने वाले सभी सैनिकों और नागरिकों के लिए एक प्रेरणा है।