
नई दिल्ली: हर साल 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य दुनिया भर की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना है। इसे अंतरराष्ट्रीय स्मारक और स्थल दिवस के रूप में भी जाना जाता है। इसकी शुरुआत 1982 में इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मोन्युमेंट्स एंड साइट्स (ICOMOS) द्वारा की गई थी और बाद में यूनेस्को ने इसे मान्यता दी।
यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में 1200 से अधिक स्थल शामिल हैं, जिन्हें ‘असाधारण सार्वभौमिक मूल्य’ के रूप में मान्यता दी गई है। भारत में कुल 43 स्थल यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं। महाराष्ट्र में सबसे अधिक 5 स्थल हैं, इसके बाद गुजरात और राजस्थान में 4-4, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में 3-3 विश्व धरोहर स्थल हैं।
भारत के प्रमुख विश्व धरोहर स्थल
उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित ताजमहल दुनिया के सबसे प्रसिद्ध स्मारकों में से एक है। यह मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनवाया था। सफेद संगमरमर से बना यह मकबरा प्रेम और स्थापत्य का प्रतीक माना जाता है।
दिल्ली का कुतुब मीनार परिसर, जो 13वीं सदी की शुरुआत में बना था, अपने इस्लामी स्थापत्य और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। इसमें कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद और लौह स्तंभ जैसे अन्य ऐतिहासिक ढांचे भी शामिल हैं।
मध्य प्रदेश के खजुराहो में स्थित मंदिर समूह अपने अद्वितीय शिल्प और प्रेम के प्रतीक चित्रों के लिए प्रसिद्ध हैं। ये मंदिर 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच बनाए गए थे और हिन्दू व जैन धार्मिक वास्तुकला का सुंदर उदाहरण हैं।
दिल्ली का लाल किला भारत के स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक है। मुगल सम्राटों का मुख्य निवास स्थल रहे इस किले की वास्तुकला में भारतीय, फारसी और तैमूरी प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं।
ओडिशा का कोणार्क सूर्य मंदिर 13वीं सदी का स्थापत्य चमत्कार है। रथ के आकार में बना यह मंदिर सूर्य देव को समर्पित है और इसकी जटिल नक्काशी अद्भुत है।
महाराष्ट्र के एलिफेंटा, अजंता और एलोरा की गुफाएं प्राचीन भारतीय कला और धर्मों की झलक प्रस्तुत करती हैं। इन गुफाओं में बौद्ध, हिन्दू और जैन धर्म से संबंधित मूर्तिकला और चित्रकला के बेजोड़ उदाहरण देखने को मिलते हैं।
तमिलनाडु के चोल मंदिर चोल साम्राज्य की वास्तुशिल्पीय विरासत को दर्शाते हैं। इनमें तंजावुर का बृहदेश्वर मंदिर, गंगैकोंडचोलपुरम और दारासुरम के मंदिर शामिल हैं, जो दक्षिण भारतीय स्थापत्य कला के अद्भुत उदाहरण हैं।
विश्व धरोहर दिवस हमें यह याद दिलाता है कि इन स्थलों को संरक्षित करना हमारी सांस्कृतिक पहचान और विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए आवश्यक है।