अखुरथ संकष्टी व्रत हिंदू धर्म में खास महत्व रखता है, जो प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। खास बात यह है कि इस दिन श्री गणेश का पूजन किया जाता है, और विशेष रूप से महिलाएं इस व्रत को सुख-समृद्धि, संतान सुख और वैवाहिक जीवन में सुख की कामना करते हुए करती हैं। इस बार अखुरथ संकष्टी व्रत 2024 में 18 दिसंबर को मनाई जाएगी।
व्रतम तिथि और समय
2024 में अखुरथ संकष्टी चतुर्थी तिथि की शुरुआत 18 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 06 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 19 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 02 मिनट पर होगा। संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा को अर्घ्य रात 8 बजकर 27 मिनट पर दिया जाएगा. इस दिन का व्रत विशेष रूप से सूर्योदय के समय और चंद्रमा के दर्शन के बाद किया जाता है। इस दिन व्रति को उपवासी रहकर विशेष पूजा करनी होती है और संतान सुख की प्राप्ति के लिए गणेश जी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है।
इस दिन चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रति अपनी पूजा का समापन करते हैं। इस दिन गणेश जी के साथ-साथ चंद्रमा की भी पूजा की जाती है, क्योंकि उन्हें संकष्टी व्रत का भागी माना जाता है।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पूजन विधि (Akhuratha Sankashti Chaturthi Pujan Vidhi)
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें. फिर साफ सुथरे वस्त्र धारण करें. पूजा घर के ईशान कोण में एक चौकी रखें. उसपर लाल पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें. सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें. पूजन शुरू करते हुए गणेश जी को जल, दूर्वा, अक्षत, पान अर्पित करें.
गणेश जी से अच्छे जीवन की कामना करें और इस दौरान “गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करें. प्रसाद में गणेश जी को मोतीचूर के ल बूंदी या पीले मोदक चढ़ाएं. चतुर्थी पूजा संपन्न करते हुए त्रिकोण के अगले भाग पर एक घी का दीया, मसूर की दाल और साबुत मिर्च पूजा संपन्न होने पर दूध, चंदन और शहद से चंद्रदेव को अर्घ्य दें. फिर प्रसाद ग्रहण करें.
इन मंत्रों का करें जाप (Akhuratha Sankashti Chaturthi Mantra)
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ।।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी उपाय (Akhuratha Sankashti Chaturthi Upay)
1. संकष्टी चतुर्थी के दिन गाय के घी में सिंदूर मिलाकर दीपक जला लें. फिर इस दीपक को भगवान गणेश के सामने रख दें. भग्वांगणेश को इस दिन गेंदे का फूल अर्पित करें और गुड़ का भोग लगाएं. शुभ फल की प्राप्ति होगी.
2. केले के पत्ते को अच्छी तरह साफ कर के उसपर रोली चन्दन से त्रिकोण की आकृति बना लें. फिर केले के पत्ते को पूजा स्थल पर रखकर इसके आगे दीपक रख दें. इसके बाद त्रिकोण की आकृति के बीच में मसूर की दाल और लाल मिर्च रख दें. इसके बाद अग्ने सखस्य बोधि नः मंत्र का जाप करें.
अनुष्ठान
गणेश पूजन – इस दिन सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन करना चाहिए। व्रति को गणेश जी की मूर्ति का स्नान कराकर उन्हें फूलों, दूर्वा, मोदक और लड्डू अर्पित करने चाहिए। खासतौर पर इस दिन गणेश जी का भोग मोदक, उनके प्रिय पकवान होते हैं।
चंद्र दर्शन – व्रति को इस दिन चंद्रमा का दर्शन करके उसका पूजन भी करना चाहिए। चंद्रमा को दूध, चीनी और जल से अर्घ्य अर्पित किया जाता है। साथ ही चंद्रमा से संतान सुख की प्रार्थना की जाती है।
उपवासी रहना – इस दिन विशेष रूप से उपवासी रहकर व्रति को अपने संकल्प को पूरा करना होता है। संकष्टी व्रत का पालन करते हुए, व्रति दिनभर केवल फलाहार करते हैं और शाम के समय चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण करते हैं।
मंत्र जप – इस दिन गणेश जी और चंद्रमा से संबंधित मंत्रों का जप करने का भी महत्व है। खासकर “ॐ गं गणपतये नमः” और “ॐ चंद्रमसे नमः” का जप शुभ माना जाता है।
अखुरथ संकष्टी कथा
अखुरथ संकष्टी व्रत की कथा भगवान गणेश के प्रसंग से जुड़ी हुई है। यह कथा बताती है कि एक समय की बात है, एक महिला संतान सुख के लिए भगवान गणेश का पूजन कर रही थी। व्रत के दौरान वह पूरी तरह से तपस्या में लीन हो गई और उसने पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ गणेश जी की पूजा की। गणेश जी ने उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उसे संतान सुख प्रदान किया।
इसके बाद वह महिला भगवान गणेश की कृपा से न केवल संतान सुख से संपन्न हुई, बल्कि उसके घर में सुख-समृद्धि का वास भी हुआ। यही कारण है कि इस दिन को खासकर संतान सुख और वैवाहिक जीवन में सुख की प्राप्ति के लिए मनाने का महत्व है।
इसके अलावा, इस दिन को लेकर यह भी मान्यता है कि जो व्यक्ति संकष्टी व्रत का पालन करते हुए भगवान गणेश और चंद्रमा का पूजन करते हैं, उन्हें मानसिक शांति, संपत्ति और सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
निष्कर्ष
अखुरथ संकष्टी व्रत एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है, जिसे श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाना चाहिए। इस दिन गणेश जी की पूजा और चंद्रमा का पूजन करके व्रति न केवल अपने जीवन को सुखी बना सकते हैं, बल्कि उन्हें सभी प्रकार की बुरी शक्तियों से बचाव भी मिलता है। इस दिन को विशेष रूप से महिलाएं अपने परिवार के सुख-समृद्धि के लिए करती हैं।