
दिल्ली में जहां मौसम की तापमान गिरने लगा है, वहीं राजनीतिक तापमान भी काफी बढ़ चुका है। ऐसे में अगर वोटरों में थोड़ा सा बदलाव होता है, तो करीब दो दर्जन सीटों की तस्वीर बदल सकती है। फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि इस बदलाव से किस पार्टी को फायदा होगा या नुकसान।
असल में, दिल्ली विधानसभा 2020 के चुनाव में करीब दो दर्जन सीटों पर जीत का अंतर 10 हजार से भी कम था। इन सीटों में अधिकांश पर आम आदमी पार्टी (AAP) ने जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस लगभग 10 प्रतिशत या उससे अधिक वोट लेकर तीसरे स्थान पर रही थी। पांच साल बाद अब कुछ सीटों पर एक एंटी-इन्कम्बेंसी माहौल भी बन रहा है, जिससे यह माना जा सकता है कि इन सीटों पर वोटरों के छोटे से बदलाव से बड़े राजनीतिक बदलाव हो सकते हैं। कांग्रेस ने अपनी ताकत ज्यादातर दलित और मुस्लिम बहुल सीटों पर ज्यादा लगाई है, जो AAP के लिए मुश्किल खड़ा कर सकती है।
दिल्ली और कालकाजी में रोचक मुकाबला
दिल्ली के न्यू दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने पूर्व सांसद पार्वेश वर्मा को आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ उतारा है, जबकि कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, कालकाजी में कांग्रेस ने महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अल्का लांबा को उतारा है और भाजपा ने पूर्व सांसद रमेश बिधुरी को सीएम अतिशी के खिलाफ खड़ा किया है, जिससे चुनाव और भी रोचक बन गया है।
ट्राइएंगल कांटेस्ट की संभावना
कांग्रेस कुछ सीटों पर मजबूत स्थिति में नजर आ रही है जैसे बदली, बावना, नागलोई जाट, दिल्ली छावनी, जंगपुरा, गांधी नगर, सीलमपुर, सुलतानपुर, सदर बाजार, हरिनगर, ओखला, मटियामहल, बल्लीमरण, कालकाजी और मुस्तफाबाद। पिछले चुनाव में, इन सीटों पर AAP की लहर के बावजूद कांग्रेस ने लगभग दर्जन भर सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला बनाया था। अब भी इन सीटों पर चुनाव त्रिकोणीय रूप में ही होता नजर आ रहा है।
करीबी मुकाबला
2020 विधानसभा चुनाव में, AAP और BJP के बीच 9 सीटों पर काफी करीबी मुकाबला देखने को मिला था। कांग्रेस के उम्मीदवारों ने इन सीटों पर अहम भूमिका निभाई थी, जिसके कारण कई सीटों पर चुनाव का परिणाम प्रभावित हुआ था। इन सीटों में आदर्श नगर, शालीमार बाग, बिजवासन, कस्तूरबा नगर, छतरपुर, बादरपुर, पटपर्गंज, लक्ष्मी नगर और कृष्णा नगर शामिल हैं।