फाइनेंशियल फ्रॉड को रोकने के लिए सरकार और अन्य एजेंसियों की ओर से लगातार जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है. इसके बावजूद फ्रॉड करने वाले लोगों को अपना शिकार बना ही लेते हैं. ऐसे ही दो मामले में CBI को बड़ी कामयाबी मिली है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने दो आर्थिक अपराधियों को विदेश से भारत लाने में बड़ी सफलता हासिल की है। करोड़ों रुपये के फाइनेंशियल फ्रॉड के आरोपों में जनार्दनन सुंदरम और वीरेंद्रभाई मणिभाई पटेल को इंटरपोल के रेड कॉर्नर नोटिस के तहत गिरफ्तार कर भारत लाया गया। तमिलनाडु और गुजरात पुलिस के अनुरोध पर इंटरपोल से समन्वय कर सीबीआई ने इन भगोड़ों को भारत लाने में अहम भूमिका निभाई।
दरअसल जनार्दनन सुंदरम पर 87.50 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। तमिलनाडु की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने 2022 में उसके खिलाफ मामला दर्ज किया था। सीबीआई ने 2023 में इंटरपोल से समन्वय कर रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाया था।
28 जनवरी 2025 को जब सुंदरम बैंकॉक पहुंचा, तो उसे रेड कॉर्नर नोटिस के आधार पर वहीं रोक दिया गया और अगले ही दिन भारत भेज दिया गया। 29 जनवरी को कोलकाता एयरपोर्ट पर लैंड करते ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में तमिलनाडु पुलिस को सौंप दिया गया।
अमेरिका से लौटते ही अहमदाबाद एयरपोर्ट पर गिरफ्तार हुआ वीरेंद्रभाई पटेल
गुजरात पुलिस को 22 साल से जिस भगोड़े की तलाश थी, वह आखिरकार पकड़ में आ गया। धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश के मामलों में वांटेड वीरेंद्रभाई मणिभाई पटेल को अहमदाबाद एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया।
गुजरात पुलिस ने 2002 में वीरेंद्रभाई के खिलाफ केस दर्ज किया था, जिसमें 77 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। इसके बाद वह फरार हो गया और विदेश में जाकर बस गया। गुजरात पुलिस के अनुरोध पर CBI ने इंटरपोल के जरिए रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाया। जैसे ही वह अमेरिका से भारत आया, एयरपोर्ट पर ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया और गुजरात पुलिस को सौंप दिया गया।
कैसे हुई गिरफ्तारी
सीबीआई ने दुनियाभर की एजेंसियों के साथ मिलकर इन अपराधियों की लोकेशन ट्रैक की और इंटरपोल के जरिए उनकी धरपकड़ करवाई।
पहले जनार्दनन सुंदरम को बैंकॉक में रोका गया और तुरंत भारत भेज दिया गया। साथ ही वीरेंद्रभाई पटेल को अमेरिका से लौटते ही एयरपोर्ट पर धर दबोचा गया।
क्या है रेड कार्नर नोटिस
रेड कॉर्नर नोटिस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भगोड़ों को पकड़ने का एक प्रभावी माध्यम है। यह पुलिस एजेंसियों को सतर्क करता है और आरोपी की गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण को आसान बनाता है। हाल के मामलों में CBI और अन्य भारतीय एजेंसियों ने इस नोटिस का उपयोग करके कई आर्थिक अपराधियों और भगोड़ों को वापस भारत लाने में सफलता पाई है।