चंडीगढ़: विशेष सीबीआई अदालत ने शुक्रवार को 2008 के ‘जज के दरवाजे पर नकदी’ मामले में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) निर्मल यादव और अन्य सभी आरोपियों को बरी कर दिया। यह फैसला 17 साल के लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आया है। न्यायमूर्ति यादव, राजीव गुप्ता और संजीव बंसल को मामले से जुड़ी सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया है।
मामले का विवरण
यह मामला 2008 में एक बैग में 15 लाख रुपये की नकदी जज के घर भेजे जाने के आरोपों पर आधारित था। इस घटना ने एक बड़ी न्यायिक विवाद को जन्म दिया था। शुरुआत में जज निर्मलजीत कौर ने इस मामले की रिपोर्ट की थी, जिसके बाद जांच ने न्यायमूर्ति निर्मल यादव को भी आरोपी बना दिया था।
सीबीआई पर आरोप
राजीव गुप्ता और संजीव बंसल के वकील एडवोकेट बी एस रियार ने इस फैसले पर कहा, “हां, इस फैसले को आने में 17 साल लग गए, लेकिन इसका दोष रक्षा पक्ष पर नहीं था। देरी सीबीआई की तरफ से थी, जिन्होंने हाई कोर्ट से अनुमतियां लेने और अलग-अलग समय पर गवाहों को पेश करने की कोशिश की। महत्वपूर्ण बात यह है कि आखिरकार न्याय मिल गया।” अब इस फैसले के बाद, भारत के सबसे लंबे समय तक चलने वाले न्यायिक भ्रष्टाचार मामलों में से एक का अंत हो गया है।