नई दिल्ली: अक्षय तृतीया, जिसे अक्षय तीज भी कहा जाता है, हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन किए गए दान, जप, तप और पुण्य कार्य कभी निष्फल नहीं होते। इसी कारण इसे अबूझ मुहूर्त कहा गया है, जिसमें किसी भी नए कार्य की शुरुआत शुभ मानी जाती है।
कब है अक्षय तृतीया 2025?
अक्षय तृतीया की तिथि 29 अप्रैल को शाम 5 बजकर 32 मिनट से शुरू होकर 30 अप्रैल को दोपहर 2 बजकर 13 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि को मान्यता होने के कारण इस वर्ष अक्षय तृतीया 30 अप्रैल, बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, वाहन या सोना खरीदने जैसे कार्य बिना किसी विशेष मुहूर्त के किए जा सकते हैं।
अक्षय तृतीया की पूजा विधि
इस दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और घर में लक्ष्मी-नारायण की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। भगवान विष्णु को चंदन का तिलक लगाएं और देवी लक्ष्मी को कुमकुम अर्पित करें। पीले फूल, जौ, गेहूं, सत्तू, खीरा, चना, गुड़ आदि का भोग लगाएं। लक्ष्मी-नारायण की कथा का पाठ करें और अंत में आरती करें। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना और जरूरतमंदों को दान देना विशेष पुण्यदायी माना गया है।
अक्षय तृतीया का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। इसी दिन त्रेता, द्वापर और सतयुग का आरंभ माना जाता है। भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी का जन्म भी इसी दिन हुआ था। इसके अतिरिक्त, उत्तराखंड स्थित चार धाम यात्रा की शुरुआत भी अक्षय तृतीया से होती है और इसी दिन गंगोत्री व यमुनोत्री के कपाट खुलते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन आरंभ किए गए कार्य अक्षय फल प्रदान करते हैं और जीवन में स्थायी सुख-समृद्धि लाते हैं। इसलिए इस पावन दिन पर शुभ कार्य करने का विशेष महत्व है।