नई दिल्ली: देशभर में आगामी 9 जुलाई (बुधवार) को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया गया है। यह बंद 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों और उनके संबद्ध महासंघों के संयुक्त मंच द्वारा बुलाया गया है, जिसे किसान संगठनों का भी समर्थन प्राप्त है। यह बंद केंद्र सरकार की “कॉरपोरेट समर्थक नीतियों” के खिलाफ विरोध के रूप में आयोजित किया जा रहा है, जिसे प्रदर्शनकारी श्रमिक अधिकारों की अनदेखी, किसानों की उपेक्षा और आर्थिक असमानता में वृद्धि के रूप में देख रहे हैं।
कौन हैं इस बंद के पीछे?
इस बंद का नेतृत्व करने वाले मुख्य श्रमिक संगठन हैं:
- ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC)
- इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC)
- सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (CITU)
- हिंद मजदूर सभा (HMS)
- ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (AIUTUC)
- सेल्फ-एम्प्लॉयड वीमेन एसोसिएशन (SEWA)
- ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (AICCTU)
- ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर (TUCC)
- लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (LPF)
- यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (UTUC)
क्या हैं प्रदर्शनकारियों की मांगें?
संघर्षरत यूनियनों ने 17 सूत्रीय मांग पत्र श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया को सौंपा था। उनकी मुख्य मांगें हैं:
- चार श्रम संहिताओं को वापस लिया जाए
- सरकारी उपक्रमों और सार्वजनिक सेवाओं का निजीकरण रोका जाए
- सभी श्रमिकों को न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा मिले
- ठेकेदारी प्रथा पर रोक और स्थायी नौकरियों की बहाली
- भारतीय श्रम सम्मेलन की पुनर्बहाली
- स्वास्थ्य, शिक्षा और जनकल्याण में निवेश बढ़ाया जाए
किन सेवाओं पर पड़ेगा असर?
भारत बंद का प्रभाव खासकर उन राज्यों में दिख सकता है जहां यूनियनों की पकड़ मजबूत है। प्रभावित सेवाएं:
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और बीमा कंपनियां
- कोयला और खनिज खनन
- डाक सेवाएं
- राज्य परिवहन (पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, पंजाब आदि में ज्यादा असर)
- स्टील, टेलीकॉम, बिजली, तेल-गैस और निर्माण परियोजनाएं (जैसे NHAI प्रोजेक्ट्स)
रेलवे कर्मचारी सीधे बंद में शामिल नहीं हैं, लेकिन कई जगहों पर ट्रेनों की आवाजाही बाधित हो सकती है।
कौन-कौन सी सेवाएं रहेंगी चालू?
- स्कूल और कॉलेज (जब तक स्थानीय प्रशासन बंद की घोषणा न करे)
- निजी कार्यालय और आईटी कंपनियां (हालांकि यातायात पर असर पड़ सकता है)
- अस्पताल और आपातकालीन सेवाएं
- रेलवे परिचालन (कुछ देरी संभव)
किसानों का समर्थन क्यों?
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने बंद को पूर्ण समर्थन दिया है। पंजाब, हरियाणा, यूपी, बिहार और कर्नाटक के किसान संगठनों ने गांवों में विरोध प्रदर्शन की तैयारी की है। उनकी प्रमुख चिंताएं:
- MSP की कानूनी गारंटी की मांग
- खर्चों में वृद्धि और फसल के दाम स्थिर
- कृषि बाजारों का निजीकरण और भूमि नीति
- मनरेगा, खाद्य सब्सिडी और उर्वरक सहायता में कटौती
बंद का समय अभी क्यों?
ट्रेड यूनियनों का कहना है कि स्थिति पहले से ज्यादा खराब हो चुकी है। वे कहते हैं:
- CMIE के मुताबिक, युवाओं में बेरोजगारी 17% तक पहुंच चुकी है
- शहरों में दाल और सब्जियों की महंगाई 8% से ऊपर
- वास्तविक मजदूरी में वृद्धि नहीं
- रक्षा और ऊर्जा जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण
- कल्याणकारी योजनाओं में कटौती और निगरानी बढ़ी है
सरकार का रुख
सरकार की ओर से अभी तक कोई औपचारिक बयान नहीं आया है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार का तर्क है कि चार श्रम संहिताएं पुराने कानूनों को सरल करने और रोजगार को औपचारिक बनाने के लिए लाई गई हैं। हालांकि, यूनियन नेताओं का आरोप है कि इन कानूनों को बिना पर्याप्त चर्चा और सहमति के लागू किया गया है।
कुछ राज्य सरकारें, यदि ज़रूरत पड़ी, तो Essential Services Maintenance Act (ESMA) लागू कर सकती हैं, लेकिन अभी तक कोई सार्वजनिक आदेश नहीं जारी हुआ है।
भारत बंद के चलते 9 जुलाई को कई क्षेत्रों में सामान्य जनजीवन प्रभावित हो सकता है। सार्वजनिक परिवहन, बैंकिंग और औद्योगिक क्षेत्रों में कामकाज ठप पड़ने की आशंका है। केंद्र सरकार के लिए यह बंद एक बड़ा संदेश है कि श्रमिक और किसान अब अपनी आवाज़ तेज़ करने के लिए संगठित हो रहे हैं।