Ganesh Chaturthi 2025: 27 अगस्त से शुरू होगा उत्सव, जानिए अष्टविनायक मंदिरों का महत्व

Ganesh Chaturthi 2025: 27 अगस्त से शुरू होगा उत्सव, जानिए अष्टविनायक मंदिरों का महत्व
Ganesh Chaturthi 2025: 27 अगस्त से शुरू होगा उत्सव, जानिए अष्टविनायक मंदिरों का महत्व

नई दिल्ली: वर्ष 2025 में गणेश चतुर्थी का महोत्सव 27 अगस्त से शुरू होकर 10 दिनों तक चलेगा। इस पावन अवसर पर देशभर में भक्त भगवान गणेश की आराधना करेंगे और घरों से लेकर मंदिरों तक गणपति बप्पा की धूम रहेगी। हालांकि, महाराष्ट्र में गणेशोत्सव की सबसे खास बात होती है अष्टविनायक यात्रा, जिसमें भगवान गणेश के आठ प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन किए जाते हैं। ये सभी मंदिर महाराष्ट्र में स्थित हैं और प्रत्येक मंदिर का धार्मिक व पौराणिक महत्व है।

1. श्री मयूरेश्वर मंदिर, मोरगांव

अष्टविनायक यात्रा की शुरुआत मोरगांव स्थित श्री मयूरेश्वर मंदिर से होती है। यह मंदिर काले पत्थर से बना है और इसका आकार मोर जैसा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, त्रेतायुग में भगवान गणेश ने सिंधुरासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए मयूरेश्वर रूप धारण किया था।

2. श्री सिद्धिविनायक मंदिर, सिद्धटेक

अहमदनगर जिले के सिद्धटेक में स्थित यह मंदिर भी अत्यंत प्रसिद्ध है। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने मधु-कैटभ राक्षसों का वध करने से पहले यहां गणेश जी की पूजा की थी। मंदिर के पास शिव और देवी शिवी के मंदिर भी हैं।

3. श्री बल्लालेश्वर मंदिर, पाली

रायगढ़ जिले के पाली गांव में स्थित इस मंदिर का नाम भक्त बल्लाल के नाम पर रखा गया है। मान्यता है कि भगवान गणेश ने यहां प्रकट होकर अपने भक्त बल्लाल को दर्शन दिए और इस स्थान पर वास का वरदान दिया।

4. श्री गिरिजात्मज मंदिर, लेण्याद्री

यह मंदिर पुणे के लेण्याद्री में स्थित है और भगवान गणेश की माता पार्वती (गिरिजा) के नाम पर इसका नाम गिरिजात्मज पड़ा। यह एक गुफा मंदिर है जहां पहुंचने के लिए 307 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। यहीं माता पार्वती ने मिट्टी से गणेश जी की मूर्ति बनाकर उन्हें जीवन प्रदान किया था।

5. श्री चिंतामणि विनायक मंदिर, थेऊर

पुणे जिले के थेऊर में स्थित इस मंदिर से जुड़ी कथा के अनुसार, गणासुर राक्षस से चिंतामणि रत्न को वापस लाकर भगवान गणेश ने कपिल मुनि को सौंपा था। इसके बाद गणेश जी ने इस स्थान पर वास किया और मंदिर में स्वयंभू रूप में विराजित हुए।

6. श्री विघ्नेश्वर मंदिर, ओझर

यह मंदिर पुणे से 85 किलोमीटर दूर ओझर में स्थित है। यह अष्टविनायक मंदिरों में से एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसके शिखर पर सोने का कलश है। यहां भगवान गणेश विघ्नों का नाश करने वाले रूप में पूजे जाते हैं।

7. श्री महागणपति मंदिर, रंजनगांव

पुणे के समीप रंजनगांव में स्थित यह मंदिर नौंवी-दसवीं शताब्दी के बीच बनाया गया था। माधवराव पेशवा ने इस मंदिर में गणेश जी की मूर्ति को सुरक्षित रखने के लिए तहखाने में एक विशेष कक्ष बनवाया था। बाद में इसका जीर्णोद्धार इंदौर के सरदार द्वारा कराया गया।

8. श्री वरदविनायक मंदिर, महड

रायगढ़ जिले के महड में स्थित यह मंदिर पेशवा काल में 1725 में रामजी महादेव बिवलकर द्वारा बनवाया गया था। यहां एक झील से गणेश जी की मूर्ति प्राप्त हुई थी जिसे मंदिर में स्थापित किया गया। खास बात यह है कि इस मंदिर में एक दीपक 1892 से निरंतर जल रहा है।

गणेशोत्सव के दौरान अष्टविनायक यात्रा विशेष धार्मिक महत्व रखती है। यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक शांति देती है, बल्कि भक्तों के मनोकामनाओं की पूर्ति का मार्ग भी प्रशस्त करती है।

Pushpesh Rai
एक विचारशील लेखक, जो समाज की नब्ज को समझता है और उसी के आधार पर शब्दों को पंख देता है। लिखता है वो, केवल किताबों तक ही नहीं, बल्कि इंसानों की कहानियों, उनकी संघर्षों और उनकी उम्मीदों को भी। पढ़ना उसका जुनून है, क्योंकि उसे सिर्फ शब्दों का संसार ही नहीं, बल्कि लोगों की ज़िंदगियों का हर पहलू भी समझने की इच्छा है।