नई दिल्ली: नेपाल में हालिया Gen Z–नेतृत्व वाले प्रदर्शनों ने राजनीतिक परिदृश्य को हिला कर रख दिया है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और लंबे समय से चल रही भ्रष्टाचार की शिकायतों ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे तक का रास्ता साफ कर दिया। इसी बीच काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह (दोहरे नाम ‘बालेन शाह’) एक नए राजनीतिक शक्ति केन्द्र के रूप में उभरकर सामने आए हैं, जिन्हें युवा वर्ग अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहता है।
लोकप्रियता की ऊंचाई पर
बालेंद्र शाह, मूल रूप से एक स्ट्रक्चरल इंजीनियर और पूर्व रैपर, 2022 में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में काठमांडू के मेयर बने थे। जनता में बढ़ रही नाराज़गी और सत्ता से दूरी को भांपते हुए उन्होंने टिक-टॉक, ट्विटर और इंस्टाग्राम का इस्तेमाल कर जनाक्रोश को संगठित किया जिससे राजनीतिक क्षेत्र में एक नया “बालेन प्रभाव” (Balen effect) बना।
समस्याओं का व्यावहारिक समाधान
उनका अभियान भ्रष्टाचार के खात्मे, कचरा प्रबंधन, यातायात व्यवस्था सुधार, सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार और सांस्कृतिक संरक्षण जैसे साधारण पर मुद्दे थे लेकिन इन्हीं ने जनता का भारी भरोसा जुटाया।
अंतरराष्ट्रीय मान्यता
उनकी उदयीमान नेतृत्व क्षमता को पहचानते हुए TIME 100 Next (2023) में उन्हें दुनिया के उभरते हुए नेताओं की सूची में शामिल किया गया। यह सम्मान उन्हीं नेताओं को मिला जो सच में परिवर्तन के एजेंट बन रहे थे।
Gen Z आंदोलन के प्रतीक
जब नेपाल में युवा विरोध उग्र हुआ, बालेंद्र शाह ने सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ खुला समर्थन जताया। हालांकि वे खुद सीधे प्रदर्शन में न शामिल हो सके, लेकिन उन्होंने Gen Z आंदोलन का आत्मा और आवाज बनकर युवाओं का विश्वास जीता।
अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में उनका समर्थन बढ़ा
ओली के इस्तीफे के बाद राजनीतिक नेतृत्व की खोज में से एक उम्मीद के नाम के रूप में बालेंद्र शाह सामने आए। उनका युवा-प्रधान, भ्रष्टाचारी विरोधी और व्यावहारिक रुख उन्हें आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता वाले समय में नेतृत्व के लिए उपयुक्त बनाता है।
आलोचना और चुनौतियाँ
जहां उन्हें जनप्रिय नेता के रूप में देखा जा रहा है, वहीं सोशल मीडिया पर कुछ आलोचक उन्हें लोक-वादी और नीतिगत रूप से अधूरे होने का आरोप भी लगा रहे हैं। कुछ का कहना है कि भले ही उनके प्रचार में दम हो, जमीन पर उनका प्रशासनिक रिकॉर्ड मजबूत नहीं है।
नेपाल अभी एक शक्तिशाली मोड़ पर खड़ा है—जहां पारंपरिक राजनीति उसकी जगह युवा-वाहक, पारदर्शी और तकनीकी समझ रखने वाले नेताओं की ओर बढ़ रही है। बालेंद्र शाह का निर्माण एक नए राजनैतिक युग के प्रतीक के रूप में हो रहा है—जिसे देश की अगली पीढ़ी प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती है।