Shardiya Navratri 2023 Day 4: शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से आरंभ हो चुके हैं। इस दौरान मां दु्र्गा के नौ स्वरूपों कू विधिवत पूजा करने का विधान है। नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां कूष्मांडा देवी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। मां कूष्मांडा की पूजा करने से व्यक्ति हर तरह के दुख-दरिद्रता से छुटकारा मिल जाता है। माना जाता है कि मां कूष्मांडा ने सृष्टि की रचना की थी। कूष्मांडा एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है कुम्हड़ा यानी पेठा की बलि देना। जानिए मां कूष्मांडा की पूजा शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती।
शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से आरंभ हो चुके हैं। इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा करने का विधान है। नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां कूष्मांडा देवी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। मां कूष्मांडा की पूजा करने से व्यक्ति हर तरह के दुख-दरिद्रता से छुटकारा मिल जाता है। माना जाता है कि मां कूष्मांडा ने सृष्टि की रचना की थी। कूष्मांडा एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है कुम्हड़ा यानी पेठा की बलि देना। जानिए मां कूष्मांडा की पूजा शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती।
मां कूष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त
शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि आरंभ– 18 अक्टूबर 2023 को सुबह 1 बजकर 26 मिनट से शुरू
शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्त– 19 अक्टूबर को सुबह 1 बजकर 12 मिनट तक
अनुराधा नक्षत्र– सूर्योदय से लेकर रात 9 बजे तक
अमृतसिद्धि योग– सुबह 6 बजकर 28 मिनट से रात 9 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग– सुबह 6 बजकर 28 मिनट से रात 9 बजे तक
कैसा है मां कूष्मांडा का स्वरूप?
शास्त्रों के अनुसार, मां कूष्मांडा को मां दुर्गा का चौथा स्वरूप कहा जाता है। बता दें कि मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं है। इसी कारण उन्हें अष्टभुजा भी कहते हैं। मां कूष्मांडा के नाम से जाना जाता है। बता दें कि मां के एक हाथ में जपमाला और अन्य सात हाथों में धनुष, बाण, कमंडल, कमल, अमृत पूर्ण कलश, चक्र और गदा शामिल है।
मां कूष्मांडा देवी की पूजा विधि
सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद पूजा आरंभ करें। सबसे पहले कलश की पूजा करें। इसके साथ ही मां दुर्गा के साथ स्वरूपों की पूजा करें। उन्हें सिंदूर, फूल, माला, अक्षत, कुमकुम, रोली आदि चढ़ाने के साथ मालपुआ का भोग लगाएं। इसके बाद जल चढ़ाएं। फिर घी का दीपक और धूप जलाकर मां दुर्गा चालीसा , दुर्गा सप्तशती का पाठ के साथ मां कूष्मांडा के मंत्र, स्तोत्र आदि का पाठ कर लें। करें। अंत में विधिवत आरती के बाद भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
मां कूष्मांडा की स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कूष्मांडा की प्रार्थना
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
मां कूष्मांडा बीज मंत्र
ऐं ह्री देव्यै नम:
मां कूष्मांडा की आरती (Maa Kushmanda Ki Aarti)
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदम्बे।
सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥