क्या हिजाब पढ़ाई से ज़्यादा ज़रूरी है?

मैं हिजाब नहीं छोडूंगी, चाहे पढ़ाई छोड़ दूंगी. हम स्कूल से टीसी (ट्रांसफ़र सर्टिफ़िकेट) लेने को तैयार हैं, लेकिन अपना हिजाब नहीं छोड़ेंगे.”

ये कहना है बारहवीं कक्षा की छात्रा क़ायनात का।

दरअसल देश में एक बार फिर हिजाब बैन के मुद्दे ने तूल पकड़ लिया है. राजस्थान की भजन लाल शर्मा सरकार शैक्षिक संस्थानों में हिजाब पर बैन लगाने पर विचार कर रही है, जिसे लेकर मुस्लिम छात्राओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. करीब डेढ़ साल बाद इस पर फिर से देश में विवाद खड़ा हो गया है. मगर सवाल ये है, हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा तो है नहीं. स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म का पूरी तरह से पालन होना चाहिए, फिर ये मुद्दा इतना तूल क्यों पकड़ रहा है। कोई भी विद्यालय एक धर्म निर्पेक्ष जगह होती, सभी विद्यार्थी एक होते है, तो वंहा हिजाब की क्या जरुरत। क्या कभी आपने ये सुना की किसी हिन्दू लड़की ने मांग की हो की वो भगवा ड्रेस, या साडी, या भगवा कपडा विद्यालय में अनिवार्य किया जाए, या कभी सुना की कोई हिन्दू लड़की अपने धरम का प्रचार शिक्षण संसथान में किया हो तो फिर ये हिज़ाब का मामला कभी कभी समझ के परे नज़र आता है। शिक्षण संस्थान धर्म का प्रचार करने के लिए नहीं है, बल्कि शिक्षा ग्रहण करने के लिए जाया जाता है। विद्यालय को विद्यालय रहने दिया जाए, धर्म का स्थान न बनाया जाये। आपको बता दें, मुस्लिम समुदाय की ही एक युवती तंजीम मेरानी अपने पिता के साथ राजधानी जयपुर में अनशन पर बैठी है। उसका यह अनशन हैरान करने वाला है। यह युवती स्कूल कॉलेज में हिजाब पर पाबंदी लगाने की मांग कर रही है। तंजीम का कहना है कि मैं मुस्लिम समाज से हूं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं शिक्षण संस्थाओं अथवा सरकारी कार्यालय में जाते समय हिजाब पहनूं।

https://www.instagram.com/reel/C29leocva69/?igsh=d2FsOG5rdGlsMzE5
Digikhabar Editorial Team
DigiKhabar.in हिंदी ख़बरों का प्रामाणिक एवं विश्वसनीय माध्यम है जिसका ध्येय है "केवलं सत्यम" मतलब केवल सच सच्चाई से समझौता न करना ही हमारा मंत्र है और निष्पक्ष पत्रकारिता हमारा उद्देश्य.