Jharkhand Assembly Election: झारखंड की राजनीति में आया दिलचस्प मोड़, चंपई सोरेन की बनाएंगे नई पार्टी, क्या आदिवासी समाज छोड़ देगा हेमंत सोरेन के साथ

Jharkhand Assembly Election: झारखंड की राजनीति में आया दिलचस्प मोड़, चंपई सोरेन की बनाएंगे नई पार्टी, क्या आदिवासी समाज छोड़ देगा हेमंत सोरेन के साथ
Jharkhand Assembly Election: झारखंड की राजनीति में आया दिलचस्प मोड़, चंपई सोरेन की बनाएंगे नई पार्टी, क्या आदिवासी समाज छोड़ देगा हेमंत सोरेन के साथ

झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन ने हाल ही में संकेत दिया है कि वे एक नई राजनीतिक पार्टी बना सकते हैं, यह कदम झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। राज्य विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले हुए इस घटनाक्रम का झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य और JMM के भविष्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है।

JMM में चंपई सोरेन की भूमिका

चंपई सोरेन दशकों से JMM में एक प्रमुख व्यक्ति रहे हैं। अक्सर पार्टी के संस्थापक शिबू सोरेन के भरोसेमंद सहयोगी माने जाने वाले चंपई ने पार्टी की रणनीति को आकार देने और राज्य में इसके प्रभाव को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। शिबू सोरेन के प्रति उनकी निष्ठा अटूट रही है और पार्टी की सफलता में उनका योगदान, विशेष रूप से कोल्हान क्षेत्र में, महत्वपूर्ण रहा है।

हालांकि, हाल के वर्षों में चंपई सोरेन और हेमंत सोरेन के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। यह तनाव उस समय चरम पर पहुंच गया जब जुलाई में चंपई को राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए कहा गया, जबकि वे केवल 152 दिनों तक ही मुख्यमंत्री रहे थे, ताकि हेमंत सोरेन की वापसी हो सके। चंपई के सार्वजनिक बयानों से संकेत मिलता है कि जिस तरह से इस बदलाव को संभाला गया, उससे वे अपमानित महसूस कर रहे थे, जिससे अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे वैकल्पिक राजनीतिक रास्ता अपना सकते हैं।

नई पार्टी के संभावित गठन

अगस्त 2024 में चंपई सोरेन ने नई राजनीतिक पार्टी के गठन का संकेत दिया। हालांकि उन्होंने अभी तक इस नई पार्टी के विवरण या नाम की पुष्टि नहीं की है, लेकिन उनके बयानों ने झारखंड के राजनीतिक गलियों में हलचल मचा दी है। उन्होंने उल्लेख किया कि उनके पास तीन विकल्प हैं: राजनीति से संन्यास लेना, नया राजनीतिक संगठन बनाना या नए सहयोगी खोजना। चंपई ने अब दूसरा विकल्प अपनाने का फैसला किया है, उन्होंने कहा कि वे इस नए संगठन को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे और अवसर आने पर समान विचारधारा वाले सहयोगियों के साथ सहयोग कर सकते हैं।

चंपई का JMM से संभावित प्रस्थान पार्टी के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है, खासकर कोल्हान क्षेत्र में उनके प्रभाव को देखते हुए, जो JMM का पारंपरिक गढ़ है। 2019 के विधानसभा चुनावों में, JMM ने 81 में से 47 सीटें हासिल कीं, जिनमें से 14 सीटें कोल्हान क्षेत्र से आईं, जहां चंपई सोरेन ने समर्थन जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस क्षेत्र में उनके नेतृत्व को खोने से जेएमएम की चुनावी संभावनाएं कमजोर हो सकती हैं।

हेमंत सोरेन और JMM पर प्रभाव

हेमंत सोरेन वर्तमान में कानूनी लड़ाई और विपक्ष के हमलों सहित कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। JMM से चंपई सोरेन के संभावित प्रस्थान से ये चुनौतियां और बढ़ सकती हैं। JMM की ताकत विभिन्न आदिवासी समुदायों को एक बैनर के तहत एकजुट करने की इसकी क्षमता में निहित है, लेकिन चंपई के जाने से यह एकता बिखर सकती है। अगर चंपई सोरेन नई पार्टी बनाते हैं और आगामी चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ते हैं, तो वे आदिवासी वोटों का एक बड़ा हिस्सा JMM से दूर कर सकते हैं, जिससे झारखंड में पार्टी की सत्ता बरकरार रखने की संभावना कम हो जाएगी।

इसके अलावा, इस घटनाक्रम का समय हेमंत सोरेन के लिए विशेष रूप से नुकसानदेह है। झारखंड विधानसभा चुनाव बस कुछ ही महीने दूर हैं, और JMM को भाजपा और अन्य विपक्षी दलों का मुकाबला करने के लिए अपने आधार को मजबूत करने की आवश्यकता होगी। एक खंडित आदिवासी वोट भाजपा के लिए उन क्षेत्रों में पैठ बनाने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है जो पारंपरिक रूप से JMM के गढ़ रहे हैं।

चंपई सोरेन का निर्णय JMM के भीतर अन्य नेताओं को भी प्रभावित कर सकता है जो मौजूदा नेतृत्व से अलग-थलग या असंतुष्ट महसूस कर सकते हैं। यदि ये नेता चंपई की नई पार्टी में शामिल होने का विकल्प चुनते हैं, तो JMM को एक बड़े आंतरिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। झारखंड में अपना प्रभुत्व बनाए रखने की पार्टी की क्षमता हमेशा आंतरिक असंतोष को प्रबंधित करने की इसकी क्षमता पर निर्भर करती है, लेकिन चंपई के कदम से दलबदल की लहर चल सकती है जिसे रोकना मुश्किल होगा।

झारखंड का राजनीतिक परिदृश्य

झारखंड का राजनीतिक परिदृश्य हमेशा से ही जटिल रहा है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रीय दल और नेता प्रभाव के लिए होड़ करते रहे हैं। शिबू सोरेन और बाद में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में JMM ने आदिवासी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करके और कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) जैसी पार्टियों के साथ रणनीतिक गठबंधन बनाकर अपना प्रभुत्व बनाए रखने में कामयाबी हासिल की है। हालांकि, चंपई सोरेन के नेतृत्व में एक नई पार्टी का उदय इस समीकरण को बिगाड़ सकता है।

अगर चंपई सोरेन सफलतापूर्वक एक नई पार्टी बनाते हैं, तो इससे कई निर्वाचन क्षेत्रों में त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है, खासकर आदिवासी बहुल्य क्षेत्रों में। इससे भाजपा को फायदा हो सकता है, जो गैर-आदिवासी मतदाताओं को आकर्षित करके और हिंदू वोट को एकजुट करके झारखंड में अपना आधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है। भाजपा पहले से ही JMM के भीतर विभाजन का फायदा उठाने के लिए काम कर रही है, और चंपई का कदम उन्हें अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी को और कमजोर करने का मौका दे सकता है।

इसके अलावा, चंपई सोरेन द्वारा एक नई पार्टी के गठन से राज्य में राजनीतिक ताकतों का पुनर्गठन हो सकता है। छोटे क्षेत्रीय दल और निर्दलीय चंपई के नए संगठन के साथ गठबंधन करने का अवसर देख सकते हैं, जिससे एक व्यापक गठबंधन बन सकता है जो JMM और BJP दोनों को चुनौती दे सकता है। ऐसा गठबंधन स्थानीय मुद्दों और आदिवासी अधिकारों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है, जो हमेशा झारखंड की राजनीति का केंद्र रहे हैं।

निष्कर्ष: हेमंत सोरेन के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा

हेमंत सोरेन का नेतृत्व अपने सबसे महत्वपूर्ण परीक्षणों में से एक का सामना कर रहा है। JMM से चंपई सोरेन के संभावित बाहर निकलने और एक नई पार्टी के गठन से झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य पर दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। हेमंत के लिए चुनौती पार्टी की एकता को बनाए रखना और आगे के दलबदल को रोकना होगा, साथ ही स्थिति का फायदा उठाने के भाजपा के प्रयासों का मुकाबला करना होगा।

अगर चंपई सोरेन एक नई पार्टी बनाने के लिए आगे बढ़ते हैं, तो यह झारखंड की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव होगा। JMM को राज्य में अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए अपनी रणनीति को फिर से तैयार करने और अपने गठबंधनों को मजबूत करने की आवश्यकता होगी। फिलहाल, सभी की निगाहें चंपई सोरेन और उनके अगले कदम पर हैं, क्योंकि झारखंड में राजनीतिक नाटक जारी है।

Digikhabar Editorial Team
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