वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत अमेरिका ने 70 से अधिक देशों से आयातित वस्तुओं पर नया टैरिफ (शुल्क) लागू कर दिया है। इस आदेश के तहत भारत से अमेरिका आने वाले उत्पादों पर अब 25% टैरिफ लगेगा। ट्रंप ने इस कदम को “लंबे समय से चले आ रहे व्यापारिक असंतुलनों” को दूर करने के रूप में पेश किया है।
व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया कि यह निर्णय अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने और अन्य देशों की “असमान व्यापार नीतियों” का जवाब देने के लिए लिया गया है।
कनाडा पर विशेष रूप से सख्त कार्रवाई
कनाडा पर टैरिफ दर 25% से बढ़ाकर 35% कर दी गई है। प्रशासन का आरोप है कि कनाडा अमेरिका की ओर से उठाए गए ‘अवैध मादक पदार्थ संकट’ से निपटने के प्रयासों का जवाब प्रतिशोध में दे रहा है, जिस कारण यह कड़ा कदम उठाया गया।
भारत पर 25% टैरिफ, पाकिस्तान पर 19%
भारत के अलावा ब्रुनेई, कज़ाखस्तान, मोल्दोवा और ट्यूनीशिया जैसे देशों के उत्पादों पर भी 25% टैरिफ लगाया गया है। वहीं पाकिस्तान, मलेशिया, इंडोनेशिया, कंबोडिया, फिलीपींस और थाईलैंड जैसे देशों के लिए टैरिफ दर 19% निर्धारित की गई है।
कुछ प्रमुख देशों पर लागू नई टैरिफ दरें इस प्रकार हैं:
- 41% टैरिफ: सीरिया
- 40% टैरिफ: लाओस, म्यांमार
- 39% टैरिफ: स्विट्जरलैंड
- 35% टैरिफ: इराक, सर्बिया
- 30% टैरिफ: अल्जीरिया, बोस्निया, लीबिया, दक्षिण अफ्रीका
- 25% टैरिफ: भारत, ब्रुनेई, कज़ाखस्तान, मोल्दोवा, ट्यूनीशिया
- 20% टैरिफ: बांग्लादेश, श्रीलंका, ताइवान, वियतनाम
- 19% टैरिफ: पाकिस्तान, मलेशिया, इंडोनेशिया, कंबोडिया, फिलीपींस, थाईलैंड
- 18% टैरिफ: निकारागुआ
- 15% टैरिफ: इज़राइल, जापान, तुर्की, नाइजीरिया, घाना
- 10% टैरिफ: ब्राज़ील, यूनाइटेड किंगडम, फॉकलैंड द्वीप समूह
यूरोपीय संघ के लिए विशेष शर्तें
यूरोपीय संघ (EU) के लिए एक अलग नीति अपनाई गई है। जिन वस्तुओं पर वर्तमान अमेरिकी शुल्क 15% से अधिक है, वे इस नए टैरिफ से छूट दी गई हैं। वहीं 15% से कम शुल्क वाली वस्तुओं पर नई दर ‘15% – मौजूदा शुल्क’ के अनुसार तय की जाएगी।
भारत-अमेरिका व्यापार पर असर
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले प्रमुख वस्त्र, कृषि उत्पाद, और आईटी हार्डवेयर पर इस टैरिफ का प्रत्यक्ष असर पड़ेगा। इससे भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित हो सकती है और अमेरिका में भारतीय उत्पाद महंगे हो सकते हैं।
इस कदम से वैश्विक व्यापार में एक बार फिर तनाव बढ़ सकता है और भारत सरकार को अमेरिकी अधिकारियों से उच्चस्तरीय बातचीत के जरिये समाधान निकालना पड़ सकता है।