राज्यसभा में शुक्रवार को गृह मंत्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के तहत आतंकवाद और अपराध पर शून्य सहनशीलता नीति के प्रभाव पर बात की। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के तहत आतंकवादी घटनाओं में महत्वपूर्ण कमी आई है।
गृह मंत्रालय के कार्यों पर चर्चा के जवाब में अमित शाह ने कहा, “गृह मंत्रालय बहुत कठिन परिस्थितियों में काम करता है। संविधान ने कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्यों को दी है, जबकि सीमा सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा गृह मंत्रालय के अधीन आती है, जो सही निर्णय है। इसमें कोई बदलाव करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन जब कानून-व्यवस्था का जिम्मा राज्यों के पास है, तो कई तरह के अपराध अब राज्य सीमाओं तक सीमित नहीं रहते, बल्कि ये अंतर-राज्य और बहु-राज्य होते हैं, जैसे मादक पदार्थ, साइबर क्राइम, संगठित अपराध गैंग, हवाला। यह अपराध सिर्फ एक राज्य में नहीं होते।”
उन्होंने कहा, “कई अपराध देश में बाहर से भी किए जाते हैं। इस सभी को ध्यान में रखते हुए गृह मंत्रालय में बदलाव करना जरूरी हो गया है। मैं गर्व से कहता हूं कि पीएम मोदी ने 10 वर्षों में गृह मंत्रालय में ऐसे बदलाव किए, जो अब तक लंबित थे, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।”
धारा 370 पर अमित शाह ने दिया बयान
अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने धारा 370 को समाप्त करके संविधान निर्माताओं के सपने ‘एक संविधान, एक ध्वज’ को पूरा किया। उन्होंने कहा, “अब कश्मीर में सिनेमाघर शाम के वक्त खुले रहते हैं, जी20 सम्मेलन हुआ, मुहर्रम की ताजिया यात्रा हुई। जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व में आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद देश की विकास में रुकावट डाल रहे थे, 92,000 लोगों की जानें गईं।”
गृह मंत्री ने बताया कि जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद से होने वाली मौतों में 70 प्रतिशत की कमी आई है और आतंकवादी घटनाओं में भी उल्लेखनीय गिरावट आई है। “मैं राज्य पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के हजारों जवानों का आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने देश की आंतरिक सुरक्षा और सीमाओं को मजबूत करने के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।”
अमित शाह ने बताया कि जम्मू और कश्मीर में 2019-24 के दौरान 40,000 सरकारी नौकरियां प्रदान की गईं, 1.51 लाख आत्म-रोजगार सृजित किए गए और कौशल विकास क्लब सक्रिय हो गए। उन्होंने यह भी कहा कि आकर्षक औद्योगिक नीति के कारण जम्मू और कश्मीर में 12,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है और 1.1 लाख करोड़ रुपये के समझौते हुए हैं।