
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चंडीगढ़ में जन्मी हरमीत कौर ढिल्लों को न्याय विभाग में नागरिक अधिकारों के सहायक अटॉर्नी जनरल के रूप में नामित किया है। यह नियुक्ति ट्रंप प्रशासन के दूसरे कार्यकाल के दौरान भारतीय-अमेरिकी समुदाय की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इससे पहले, डॉ. जय भट्टाचार्य, विवेक रामास्वामी और कश्यप ‘काश’ पटेल जैसे भारतीय-अमेरिकियों को भी प्रमुख पदों पर नियुक्त किया जा चुका है।
ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट “ट्रुथ सोशल” पर इस नियुक्ति की घोषणा की और हरमीत के योगदान को सराहा। उन्होंने कहा कि ढिल्लों ने हमेशा नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा की है और वह मुक्त भाषण की रक्षा करने, ‘बिग टेक’ द्वारा सेंसरशिप का विरोध करने और कोविड के दौरान प्रार्थना करने से रोकने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सक्रिय रूप से काम कर चुकी हैं। इसके अलावा, उन्होंने कंपनियों के खिलाफ भी मुकदमे किए हैं जो जागृत नीतियों का पालन कर रही थीं। ट्रंप ने ढिल्लों को देश के शीर्ष चुनाव वकीलों में से एक बताया, जिनका योगदान यह सुनिश्चित करने में रहा कि केवल वैध वोटों की गिनती की जाए।
कौन हैं हरमीत ढिल्लन?
हरमीत ढिल्लों का जन्म चंडीगढ़ में हुआ था और वह बचपन में अपने परिवार के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका चली गईं। उन्होंने अपनी शिक्षा नॉर्थ कैरोलिना के स्कूल ऑफ़ साइंस एंड मैथमेटिक्स से प्राप्त की, और बाद में डार्टमाउथ कॉलेज से क्लासिकल लिटरेचर में बीए किया। इसके बाद, उन्होंने वर्जीनिया विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की।
ढिल्लों का करियर बेहद प्रभावशाली रहा है। उन्होंने पॉल वी. नीमेयर जैसे प्रतिष्ठित न्यायाधीश के अधीन लॉ क्लर्क के रूप में काम किया और फिर प्रमुख लॉ फर्मों में कार्यरत रहीं। 2004 में, उन्होंने ढिल्लों लॉ ग्रुप इंक की स्थापना की और फर्म की प्रबंध भागीदार बन गईं। इसके साथ ही, वह व्यावसायिक मुकदमेबाजी, बौद्धिक संपदा, उपभोक्ता वर्ग कार्रवाई और संवैधानिक कानून के मामलों में विशेषज्ञता रखती हैं।
उनकी नियुक्ति न केवल भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह ट्रंप प्रशासन के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि वे नागरिक अधिकारों, चुनाव कानूनों और संविधान की रक्षा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। हरमीत ढिल्लों ने अपनी नियुक्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके लिए यह सम्मान की बात है कि उन्हें देश की सेवा करने का अवसर मिला है।
इस नामांकन से यह भी स्पष्ट होता है कि ट्रंप प्रशासन भारतीय-अमेरिकी समुदाय को प्रमुख सरकारी पदों पर नियुक्त करने के प्रति प्रतिबद्ध है, जिससे अमेरिका में इस समुदाय की भूमिका और अधिक सशक्त हो रही है।