Gyanesh Kumar के नए मुख्य चुनाव आयुक्त बनते ही कांग्रेस ने नियुक्ति पर उठाए सवाल, कौन हैं ज्ञानेश कुमार?

Gyanesh Kumar के नए मुख्य चुनाव आयुक्त बनते ही कांग्रेस ने नियुक्ति पर उठाए सवाल, कौन हैं ज्ञानेश कुमार?
Gyanesh Kumar के नए मुख्य चुनाव आयुक्त बनते ही कांग्रेस ने नियुक्ति पर उठाए सवाल, कौन हैं ज्ञानेश कुमार?

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने ज्ञानेश कुमार को नया मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) नियुक्त किया है। वह संशोधित कानून के तहत नियुक्त होने वाले पहले सीईसी बने हैं और 26 जनवरी 2029 तक अपने पद पर रहेंगे। इस दौरान वह बिहार, केरल और तमिलनाडु सहित कई महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों की निगरानी करेंगे।

कौन हैं ज्ञानेश कुमार?

ज्ञानेश कुमार 1988 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने आईआईटी कानपुर से सिविल इंजीनियरिंग में बी.टेक किया है। इसके अलावा, आईसीएफएआई, भारत में बिजनेस फाइनेंस और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, अमेरिका में पर्यावरणीय अर्थशास्त्र का अध्ययन किया है।

अपने करियर में उन्होंने एर्नाकुलम के सहायक कलेक्टर, अदूर के उप-कलेक्टर, केरल राज्य विकास निगम के एमडी और कोच्चि नगर निगम के आयुक्त जैसे पदों पर कार्य किया है।

केंद्र में रहते हुए, अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर में फैसलों को लागू करने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही। उन्होंने 15 मार्च 2024 को चुनाव आयुक्त का पद संभाला था।

उन्होंने रक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव, गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव, संसदीय कार्य मंत्रालय के सचिव और सहकारिता मंत्रालय के सचिव के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं। वह 31 जनवरी 2024 को सेवानिवृत्त हुए थे।

विवेक जोशी बने नए चुनाव आयुक्त

सरकार ने हरियाणा कैडर के 1989 बैच के आईएएस अधिकारी विवेक जोशी को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया है। वह 21 मई 1966 को जन्मे और 2031 तक इस पद पर बने रहेंगे। चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं या अधिकतम छह वर्षों तक सेवा दे सकते हैं।

कांग्रेस ने नियुक्ति पर उठाए सवाल

कांग्रेस ने मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया और इसके समय पर सवाल उठाए हैं। पार्टी का कहना है कि सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले ही लागू करने की जल्दबाजी दिखाई है।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई चयन समिति की बैठक में इस मुद्दे को उठाया। कांग्रेस का कहना है कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिका पर फैसला आने तक इंतजार करना चाहिए था।

कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा,
“यह हमारे संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में स्पष्ट किया है कि चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त को पूरी तरह से निष्पक्ष होना चाहिए।”

गौरतलब है कि संशोधित कानून के तहत चयन समिति से भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को हटा दिया गया है।

सरकार पर सुप्रीम कोर्ट से बचने का आरोप

वेणुगोपाल ने आगे कहा,
“सरकार को 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर सुनवाई का इंतजार करना चाहिए था। लेकिन जिस तरह से सरकार ने जल्दीबाजी में बैठक बुलाकर नियुक्ति कर दी, वह दिखाता है कि वे सुप्रीम कोर्ट की समीक्षा से बचना चाहते थे।”

क्या चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर असर पड़ेगा?

विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता और स्वतंत्रता को लेकर यह विवाद 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले बड़ा मुद्दा बन सकता है। अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर क्या फैसला सुनाता है और विपक्ष इस मुद्दे को किस तरह उठाता है।

Digikhabar Editorial Team
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