Bangladesh News: आर्मी चीफ की चेतावनी के बाद मोहम्मद यूनुस के इस्तीफे की अटकलें तेज, चुनाव करवाने का दबाव बढ़ा

Bangladesh News: आर्मी चीफ की चेतावनी के बाद मोहम्मद यूनुस के इस्तीफे की अटकलें तेज, चुनाव करवाने का दबाव बढ़ा
Bangladesh News: आर्मी चीफ की चेतावनी के बाद मोहम्मद यूनुस के इस्तीफे की अटकलें तेज, चुनाव करवाने का दबाव बढ़ा

ढाका: बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के इस्तीफे की अटकलें तेज हो गई हैं। सूत्रों के अनुसार, देश के सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमां द्वारा उन्हें दिसंबर तक चुनाव कराने का सीधा अल्टीमेटम देने के बाद यूनुस सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है।

बीबीसी बांग्ला से बातचीत में नेशनल सिटिजन पार्टी (सीपी) के नेता नहीद इस्लाम ने कहा,

“हम सुबह से ही सर (यूनुस) के इस्तीफे की खबरें सुन रहे हैं। मैं उनसे मिलने गया और उन्होंने कहा कि वे सोच रहे हैं कि अब हालात ऐसे हो गए हैं कि वे काम नहीं कर सकते।”

सेना प्रमुख का सख्त संदेश

इस हफ्ते एक बंद कमरे में हुई मिलिटरी दरबार बैठक में जनरल वाकर-उज-जमां ने यूनुस को साफ चेतावनी दी कि देश में राष्ट्रीय चुनाव दिसंबर तक कराना अनिवार्य है, वरना सेना हस्तक्षेप कर सकती है। उन्होंने म्यांमार के रखाइन राज्य तक प्रस्तावित “मानवीय कॉरिडोर” को भी खारिज कर दिया, जिसे उन्होंने “ब्लडी कॉरिडोर” बताते हुए राष्ट्रीय संप्रभुता के लिए खतरा बताया।

जनरल जमां ने कहा:

“बांग्लादेश सेना कभी भी ऐसी किसी गतिविधि का हिस्सा नहीं बनेगी जो देश की संप्रभुता को नुकसान पहुंचाए। और न ही किसी और को इसकी इजाज़त दी जाएगी।”

क्या है कॉरिडोर विवाद

इस विवादास्पद कॉरिडोर की घोषणा विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने अप्रैल में की थी। उन्होंने दावा किया था कि यह अमेरिका द्वारा प्रायोजित और संयुक्त राष्ट्र समर्थित योजना है, जिसका उद्देश्य म्यांमार के हिंसा-ग्रस्त रखाइन क्षेत्र में राहत पहुंचाना है।

हालांकि, BNP और वाम दलों ने इसे एकतरफा और अवैध करार देते हुए इसका तीखा विरोध किया है। यह कॉरिडोर चटगांव डिविजन से होकर जाना था, जहां पहले से ही 10 लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं।

यूनुस कैसे आए सत्ता में

पिछले वर्ष देशभर में फैले छात्र आंदोलन और सेना की तटस्थता के कारण शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार का पतन हुआ, और मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। छात्र संगठन स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन (SAD) ने यूनुस की नियुक्ति की मांग की थी, जबकि शेख हसीना को सुरक्षित रूप से भारत भेजने की मांग की गई थी।

सेना और यूनुस सरकार के बीच तनाव क्यों बढ़ा?

यूनुस सरकार पर आरोप है कि उसने चुनाव टालने के साथ-साथ बांग्लादेश राइफल्स (BDR) के लगभग 300 विद्रोहियों को और सैकड़ों कट्टरपंथी इस्लामी अपराधियों को रिहा किया है, जिससे सेना में गहरी नाराजगी है। अब यह देखना बाकी है कि क्या मोहम्मद यूनुस वास्तव में इस्तीफा देंगे या सेना के दबाव में चुनाव करवाएंगे। उनकी सरकार का भविष्य फिलहाल अस्थिर और अनिश्चितता से भरा हुआ है।