भोजपुर, बिहार: कुख्यात गैंगस्टर चंदन मिश्रा की हत्या में शामिल तीन आरोपियों में से दो मंगलवार सुबह पुलिस मुठभेड़ में घायल हो गए, जबकि एक अन्य को गिरफ्तार कर लिया गया है। यह मुठभेड़ आरा शहर के बिहिया थाना क्षेत्र के कटिया रोड के पास सुबह 5 बजे के आसपास हुई। यह कार्रवाई बिहार स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और भोजपुर जिला पुलिस की संयुक्त टीम द्वारा अंजाम दी गई।
घायल आरोपी और बरामदगी
पुलिस के मुताबिक, घायल आरोपियों की पहचान बलवंत कुमार सिंह और रविरंजन कुमार सिंह के रूप में हुई है, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। तीसरे आरोपी अभिषेक कुमार को पुलिस ने मौके से गिरफ्तार किया। पुलिस ने आरोपियों के पास से एक देसी कट्टा, दो पिस्टल, दो मैगजीन और चार जिंदा कारतूस बरामद किए हैं।
कैसे हुई मुठभेड़?
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, STF और जिला पुलिस की संयुक्त टीम को सूचना मिली थी कि चंदन मिश्रा हत्याकांड के आरोपी कटिया रोड के पास देखे गए हैं। सुबह करीब 5 बजे पुलिस ने उन्हें घेरने की कोशिश की और आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। लेकिन आरोपियों ने पुलिस टीम पर फायरिंग शुरू कर दी, जिसके जवाब में पुलिस ने भी गोली चलाई। इस गोलीबारी में दो अपराधी हाथ और पैर में गोली लगने से घायल हो गए। CCTV फुटेज में दिखे पांच शूटरों में से दो की पहचान बलवंत और अभिषेक के रूप में की गई थी। बलवंत मुठभेड़ में घायल हुआ, जबकि अभिषेक को जिंदा पकड़ा गया।
चंदन मिश्रा हत्याकांड की पृष्ठभूमि
17 जुलाई को आरा स्थित पारस हॉस्पिटल में चंदन मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। चंदन मिश्रा बक्सर जिले का कुख्यात अपराधी था और उस पर कई हत्या के मामले दर्ज थे। वह भागलपुर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा था और इलाज के लिए पारस हॉस्पिटल लाया गया था, जहां सुरक्षा के बीच भी उसकी हत्या कर दी गई।
पटना SSP कार्तिकेय शर्मा के अनुसार, प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि हत्या प्रतिद्वंद्वी गैंग के सदस्यों द्वारा की गई, जिनका संबंध शेरू नामक अपराधी से है। उन्होंने बताया, “भागलपुर जेल में चंदन और शेरू के बीच पहले से दुश्मनी थी। हम मानते हैं कि यह हमला उसी गैंगवार का नतीजा है।”
आगे की कार्रवाई
पुलिस अब शेष फरार आरोपियों की तलाश में है। STF और स्थानीय पुलिस की कई टीमें संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही हैं। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि इस हत्याकांड में शामिल सभी अपराधियों को जल्द पकड़ लिया जाएगा। यह घटना न केवल बिहार की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि जेल प्रशासन और मेडिकल सुरक्षा व्यवस्था की भी पोल खोलती है।