‘चिकन नेक’ के करीब चीन की नई चाल, बांग्लादेश कर रहा मदद , भारत सर्तक, क्या है चिकन नेक

'चिकन नेक' के करीब चीन की नई चाल, बांग्लादेश कर रहा मदद , भारत सर्तक, क्या है चिकन नेक
'चिकन नेक' के करीब चीन की नई चाल, बांग्लादेश कर रहा मदद , भारत सर्तक, क्या है चिकन नेक

नई दिल्ली: पूर्वोत्तर भारत की रणनीतिक सुरक्षा को लेकर एक नई और चिंताजनक स्थिति उभरती दिखाई दे रही है। बांग्लादेश, चीन के आर्थिक और तकनीकी सहयोग से अपने पुराने लालमोनिरहाट एयरबेस को पुनः सक्रिय करने की योजना बना रहा है। यह एयरबेस भारत-बांग्लादेश सीमा से मात्र 12-15 किलोमीटर और भारत के संवेदनशील सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) से लगभग 135 किलोमीटर दूर स्थित है।

यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब चीन लगातार दक्षिण एशिया में अपनी रणनीतिक उपस्थिति को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। भारत की सुरक्षा एजेंसियां इस विकासक्रम पर गंभीर निगरानी रख रही हैं।

लालमोनिरहाट एयरबेस: ऐतिहासिक और रणनीतिक महत्व

लालमोनिरहाट एयरबेस की स्थापना 1931 में ब्रिटिश काल में की गई थी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यह एयरबेस मित्र सेनाओं के लिए एक प्रमुख संचालन केंद्र रहा।

  • यह बेस 1,166 एकड़ में फैला है।
  • इसमें 4 किलोमीटर लंबा रनवे, टरमैक, टैक्सीवे और हैंगर की सुविधाएं मौजूद हैं।

हालांकि पिछले कई दशकों से यह एयरबेस निष्क्रिय था, लेकिन 2019 में बांग्लादेश सरकार ने यहां एक एविएशन और एयरोस्पेस यूनिवर्सिटी स्थापित करने की योजना बनाई, जिसे बांग्लादेश वायु सेना संचालित करती है।

अब इसी एयरबेस को चीन के सहयोग से एक बार फिर से सक्रिय करने की योजना पर काम चल रहा है, जिससे इसके संभावित सैन्य उपयोग की अटकलें तेज हो गई हैं।

चीन की भूमिका और रणनीतिक इरादे

फरवरी 2025 में बांग्लादेश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस ने बीजिंग का आधिकारिक दौरा किया था। इस दौरान चीन ने बांग्लादेश को 2.1 अरब डॉलर का निवेश और ऋण पैकेज देने की घोषणा की।

इस निवेश का उद्देश्य बांग्लादेश के छह पुराने हवाई अड्डों को पुनर्जीवित करना है, जिनमें लालमोनिरहाट को प्रमुखता दी गई है।
हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि इन हवाई अड्डों का प्रयोजन केवल नागरिक उड्डयन तक सीमित रहेगा या सैन्य उद्देश्य भी इससे जुड़े होंगे।

विशेष चिंता की बात यह है कि चीन के अधिकारियों ने हाल ही में लालमोनिरहाट का दौरा किया है, जिससे इस परियोजना के पीछे रणनीतिक एजेंडा होने की आशंका प्रबल हो गई है।

सिलीगुड़ी कॉरिडोर: चिकन नेक

सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे आमतौर पर ‘चिकन नेक’ कहा जाता है, 22 किलोमीटर चौड़ा वह भू-भाग है जो भारत के मुख्य भू-भाग को उसके उत्तर-पूर्वी राज्यों से जोड़ता है।

यह इलाका:

  • भारत की आंतरिक संचार व्यवस्था के लिए बेहद अहम है।
  • साथ ही यह भारत की सामरिक दृष्टि से सबसे संवेदनशील जगहों में से एक है।

अगर इस क्षेत्र के पास कोई विदेशी ताकत सैन्य या खुफिया उपस्थिति दर्ज करती है, तो यह भारत के लिए एक गंभीर रणनीतिक खतरा बन सकता है।

बांग्लादेश की मंशा और भारत की चिंता

बांग्लादेश सरकार, विशेष रूप से कार्यवाहक नेतृत्व, लगातार अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने की बात करता रहा है। लेकिन चीन के इतने निकट सहयोग के बीच रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखना बांग्लादेश के लिए एक कठिन चुनौती बनता जा रहा है।

बांग्लादेश के प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस द्वारा हाल ही में पूर्वोत्तर भारत में चीन की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने की वकालत भी की गई है, जिससे भारत की चिंताएं और गहरी हो गई हैं।

निष्कर्ष

लालमोनिरहाट एयरबेस का पुनः सक्रिय होना भारत के लिए सिर्फ एक अवसंरचनात्मक विकास नहीं, बल्कि एक सुरक्षा-संबंधी चेतावनी भी है। चीन का इस परियोजना में शामिल होना, भारत के रणनीतिक हितों को चुनौती देने वाला कदम माना जा रहा है। भारत की सुरक्षा एजेंसियां इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं, और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि बांग्लादेश इस मुद्दे पर किस प्रकार की स्पष्टता और पारदर्शिता प्रस्तुत करता है।