नई दिल्ली: दिल्ली चुनाव के बीच यमुना का पानी एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा सरकार पर यमुना के पानी में ज़हर मिलाने का गंभीर आरोप लगाया था। अब चुनाव आयोग ने इस बयान पर सख्त रुख अपनाते हुए केजरीवाल को शो-कॉज नोटिस जारी किया है और 5 अहम सवालों के जवाब मांगे हैं।
EC ने पूछा- “ज़हर मिलाने का क्या सबूत है?”
चुनाव आयोग ने केजरीवाल के बयान पर संज्ञान लेते हुए उनसे पूछा है कि अगर हरियाणा सरकार ने यमुना में ज़हर मिलाया, तो इसका कोई ठोस प्रमाण दिया जाए। आयोग ने साफ किया कि पानी में अमोनिया की मात्रा बढ़ना और इसे “ज़हरीला” कहना, दो अलग-अलग मुद्दे हैं।
अगर केजरीवाल कल सुबह 11 बजे तक अपना जवाब नहीं देते हैं, तो चुनाव आयोग उनके बयान पर कड़ी कार्रवाई कर सकता है।
EC के 5 बड़े सवाल:
1. यमुना के पानी में किस तरह का ज़हर मिलाया गया?
2. इसकी मात्रा कितनी थी और इसे कहां और कैसे डिटेक्ट किया गया?
3. वह स्थान कौन सा था जहां पर ज़हर की उपस्थिति पाई गई?
4. दिल्ली जल बोर्ड के किस इंजीनियर ने इसे डिटेक्ट किया और कैसे?
5. दिल्ली में इस ज़हरीले पानी को रोकने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई?
क्या कहा था केजरीवाल ने?
अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि “दिल्ली के लोगों को पीने का पानी हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मिलता है। लेकिन हरियाणा सरकार ने जानबूझकर यमुना में ज़हर मिलाकर पानी दिल्ली भेजा। हमारे जल बोर्ड के इंजीनियरों की सतर्कता से इस पानी को रोका गया।”
उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में भूचाल आ गया। विपक्षी दलों ने इसे चुनावी स्टंट करार दिया, तो वहीं बीजेपी ने इसे “बेतुका और भ्रामक बयान” बताया।
क्या है सच्चाई?
विशेषज्ञों का मानना है कि सर्दियों में यमुना में पानी की मात्रा कम होने से उसमें अमोनिया का स्तर बढ़ जाता है, जिससे पानी की गुणवत्ता खराब हो जाती है। लेकिन इसे “ज़हर मिलाने” का आरोप देना कितना सही है, यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है।
अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि अरविंद केजरीवाल चुनाव आयोग को क्या जवाब देंगे? क्या वे अपने दावे के समर्थन में ठोस सबूत देंगे या यह बयान सिर्फ चुनावी बयानबाजी बनकर रह जाएगा?