कराची में भूकंप की बाढ़, Operation Sindoor के बाद पाकिस्तान में कांप रही ज़मीन, जून में 60 बार हिली ज़मीन

कराची में भूकंप की बाढ़, Operation Sindoor के बाद पाकिस्तान में कांप रही ज़मीन, जून में 60 बार हिली ज़मीन
कराची में भूकंप की बाढ़, Operation Sindoor के बाद पाकिस्तान में कांप रही ज़मीन, जून में 60 बार हिली ज़मीन

कराची: भारत द्वारा मई की शुरुआत में चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में मानो ज़मीन ही खिसक गई है। 6-7 मई की रात हुए पहले हमले और उसके बाद 9-10 मई को 11 पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों के ध्वस्त होने के बाद से पाकिस्तान में लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। ख़बरें यह भी हैं कि इस दौरान पाकिस्तान के एक परमाणु ठिकाने को नुकसान पहुंचा है, जिससे रेडियोएक्टिव रिसाव की आशंका भी जताई जा रही है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

जून में 60 बार हिली ज़मीन

मई से ही पाकिस्तान खासकर कराची और उसके आसपास के इलाकों में भूकंप की झड़ी लगी है। जून महीने में 60 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे कराची के लोग बेहद तनाव और डर के माहौल में जी रहे हैं। सिंध प्रांत की राजधानी कराची के मलीर, लांधी, गदप, कोरंगी, डीएचए सिटी और कायदाबाद जैसे इलाके सबसे अधिक प्रभावित रहे।

2 जून से 22 जून के बीच इन इलाकों में लगातार झटके आए। 2 जून को एक ही दिन में 10 भूकंप, 3 जून को कई बार धरती हिली, और 22 जून को आए अंतिम 6 झटकों में से चार की तीव्रता 3.0 से अधिक थी।

स्थानीय लोग भय और तनाव में

कराची के लांधी इलाके में एक कपड़ा फैक्ट्री में काम करने वाले जहीर उल हसन ने 2 जून के भूकंप को याद करते हुए कहा, “हमने ज़मीन का कंपन महसूस किया और लगा कि कुछ बहुत बुरा होने वाला है।”

मलीर निवासी निगहत खान ने बताया, “दिन हो या रात, जैसे ही झटका महसूस होता, हम पूरे परिवार के साथ घर से बाहर निकल आते थे।” वहीं फैज़ान कादरी ने कहा कि लगातार झटकों का असर लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर साफ नजर आ रहा है। छोटे बच्चों और बुज़ुर्गों में खास तौर पर बेचैनी देखी जा रही है।

हालांकि अब तक किसी तरह की जनहानि की सूचना नहीं है, लेकिन भय और मानसिक प्रभाव बहुत गहरा है। भूकंपीय गतिविधियां 22 जून के बाद से थमी हैं, जिससे कुछ राहत जरूर मिली है।

क्या परमाणु ठिकानों से जुड़ा है संबंध?

भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हुए कथित हमलों को लेकर अटकलें तेज हैं कि क्या इन भूकंपों का संबंध उन हमलों से है?

हालांकि पाकिस्तान के मुख्य मौसम वैज्ञानिक अमीर हैदर लेघारी और समुद्री भूवैज्ञानिक आसिफ इनाम ने इस आशंका को खारिज करते हुए कहा कि कराची में बड़े भूकंप की संभावना बहुत कम है। उनके अनुसार, “कम तीव्रता वाले झटके पृथ्वी की फॉल्ट लाइनों पर जमा दबाव को कम करते हैं, जिससे बड़े भूकंप का खतरा घट जाता है।”

फिर भी विशेषज्ञ यह स्पष्ट नहीं कर पाए कि अचानक इतनी भूकंपीय गतिविधि क्यों बढ़ गई, और यह सवाल अभी भी लोगों के मन में बना हुआ है।

भारत-पाक तनाव और भूकंप के बीच की कड़ी?

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव और पाकिस्तान में भूकंप की बाढ़ ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या ये झटके भूगर्भीय कारणों से हैं या किसी गंभीर अंदरूनी हलचल का संकेत हैं — यह अभी तक साफ नहीं है। मगर एक बात तय है कि कराची के लोग अब भी डर और असमंजस की स्थिति में हैं।