नई दिल्ली: आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होने वाली गुप्त नवरात्रि इस वर्ष 26 जून 2025, बुधवार को शुरू हो रही है। हिंदू धर्म में गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व माना जाता है, खासकर तांत्रिक साधना और दस महाविद्याओं की आराधना के लिए। साल में दो बार आने वाली गुप्त नवरात्रि — माघ और आषाढ़ माह में — विशेष आध्यात्मिक साधना की अवधि होती है।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
गुप्त नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना से होती है।
- प्रमुख घटस्थापना मुहूर्त: सुबह 5:26 बजे से 6:58 बजे तक
- वैकल्पिक अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:56 बजे से 12:53 बजे तक
जिन भक्तों से सुबह का मुहूर्त छूट जाए, वे अभिजीत मुहूर्त में विधिवत घटस्थापना कर सकते हैं।
क्या है गुप्त नवरात्रि?
जहां सामान्य नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, वहीं गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की गुप्त और विशेष साधना का विधान है। ये दस महाविद्याएं हैं:
- काली
- तारा देवी
- त्रिपुर सुंदरी
- भुवनेश्वरी
- छिन्नमस्तिका
- त्रिपुर भैरवी
- धूमावती
- बगलामुखी
- मातंगी
- कमला देवी
इन देवी स्वरूपों की साधना से ऊर्जा, ज्ञान, सौंदर्य, तांत्रिक शक्ति और मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है।
किन कार्यों से मिलेगा माता का विशेष आशीर्वाद?
गुप्त नवरात्रि के दौरान निम्न कार्य करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है:
- दुर्गा सप्तशती, देवी चालीसा और देवी महात्म्य का पाठ करें
- ध्यान और साधना में मन लगाएं
- दान-पुण्य करें, विशेषकर कन्या पूजन या जरूरतमंदों की सेवा
- सात्विक जीवन शैली अपनाएं, व्रत रखें और मानसिक शुद्धता बनाए रखें
क्यों है गुप्त नवरात्रि विशेष?
गुप्त नवरात्रि को विशेष रूप से तांत्रिक और साधक लोग अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हैं। इस दौरान की गई पूजा और मंत्र-साधना को अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।