
थाईलैंड में 23 जनवरी का दिन इतिहास में दर्ज हो चुका है, जब सैकड़ों समलैंगिक जोड़े आधिकारिक रूप से विवाह के बंधन में बंधें। यह दिन थाईलैंड को एशिया का सबसे बड़ा देश बना रहा है जिसने समान विवाह को कानूनी मान्यता दी है। इस ऐतिहासिक मौके को भव्यता से मनाने के लिए बैंकॉक प्राइड और नगर प्रशासन द्वारा सामूहिक विवाह समारोह आयोजित किया गया था।
यह कार्यक्रम बैंकॉक के सियाम पैरागन शॉपिंग मॉल में आयोजित हुआ, जहां सैकड़ों जोड़े अपने रिश्ते को आधिकारिक रूप दिए। इसके अलावा, देशभर के जिला कार्यालयों में सुबह 8 बजे से विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई थी।
खुशी और उत्साह का माहौल
इस मौके पर एक ट्रांसजेंडर महिला, अरिया “जिन” मिलिंतनापा, ने अपनी खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा, “यह दिन न केवल जोड़ों के लिए बल्कि उनके परिवारों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। हमने इस दिन का लंबे समय से इंतजार किया है।”
इतिहास रचता थाईलैंड
थाईलैंड ने पिछले साल जून में समान विवाह बिल पारित कर इतिहास रच दिया था। यह नेपाल और ताइवान के बाद एशिया का तीसरा देश बन गया जिसने समान विवाह को कानूनी मान्यता दी। यह कानून अक्टूबर में राजा महा वजिरालोंगकोर्न द्वारा अनुमोदित किया गया और अब अनिवार्य 120-दिन संक्रमण अवधि के बाद पूरी तरह से लागू हो गया है।
इस कानून को बनाने में वर्षों की मेहनत और अभियान शामिल हैं। यह कानून न केवल विवाह बल्कि समान-लिंग जोड़ों को गोद लेने और संपत्ति के अधिकार भी सुनिश्चित करता है। यह नए कानून को लैंगिक तटस्थ बनाता है, जिससे हर किसी को समान अधिकार और संरक्षण मिले।
प्रधानमंत्री की शुभकामनाएं
थाईलैंड के प्रधानमंत्री पैतोंगटर्न शिनावात्रा ने इस ऐतिहासिक क्षण पर अपनी खुशी जताते हुए कहा, “प्यार की कोई सीमा नहीं होती, यह इस बात पर निर्भर नहीं करता कि आप किसे प्यार करते हैं। हर किसी को समान कानूनों के तहत सुरक्षा मिलेगी।”
समानता और प्रेम का उत्सव
यह दिन न केवल थाईलैंड बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा है। यह दिखाता है कि अगर समाज और सरकारें मिलकर काम करें, तो समानता और प्रेम को हर स्तर पर जगह दी जा सकती है। थाईलैंड के इस कदम ने दुनिया के 30 से अधिक देशों के साथ कदम से कदम मिलाकर समान अधिकारों की दिशा में एक मजबूत संदेश दिया है।