इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को एक बार फिर से नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है। यह उनका दूसरा नामांकन है, और इस बार उन्हें मानवाधिकार और पाकिस्तान में लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल सकता है।
इमरान खान, जो वर्तमान में पाकिस्तान में कैद हैं, उनको यह नामांकन “पाकिस्तान में मानवाधिकार और लोकतंत्र को बढ़ावा देने” के लिए किया गया है। यह नामांकन Partiet Sentrum नामक एक एडवोकेसी समूह द्वारा किया गया है, जो इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए इमरान खान का समर्थन कर रहा है।
Partiet Sentrum ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा, “हम गर्व से घोषणा करते हैं कि हमने इमरान खान, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री, को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया है, उनके मानवाधिकार और पाकिस्तान में लोकतंत्र के प्रति योगदान के लिए।”
इससे पहले, इमरान खान को 2019 में भी नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। उस समय उन्हें भारत के साथ तनाव को कम करने और दक्षिण एशिया में शांति स्थापित करने के प्रयासों के लिए नामांकित किया गया था, खासकर भारतीय पायलट अभिनंदन वर्धमान को रिहा करने के उनके निर्णय के लिए, जो बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा पकड़े गए थे।
इमरान खान की जेल यात्रा:
इमरान खान, जो पाकिस्तान की प्रमुख विपक्षी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के संस्थापक हैं, वो अगस्त 2023 से जेल में बंद हैं। जनवरी 2024 में उन्हें सत्ता के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के मामले में 14 साल की सजा सुनाई गई थी। यह उनकी चौथी प्रमुख सजा थी, जिसमें पहले के तीन मामलों को अदालतों ने रद्द या स्थगित कर दिया था।
कभी पाकिस्तान के सबसे शक्तिशाली नेता रहे इमरान खान को 2022 में एक अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता से बाहर कर दिया गया था। उन्होंने अपने खिलाफ सभी आरोपों को राजनीतिक साजिश करार दिया है।
इस बार, इमरान खान के नामांकन ने एक नई बहस को जन्म दिया है, क्योंकि वह जेल में होने के बावजूद शांति और लोकतंत्र के प्रतीक के रूप में सामने आ रहे हैं।
नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकन प्रक्रिया बहुत ही कठिन और लंबी होती है, जिसमें योग्य नामांकक द्वारा नाम दिए जाते हैं। इसके बाद, नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी विभिन्न नामों पर विचार करती है और चयनित व्यक्ति को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार देती है।
अब देखना यह होगा कि क्या इमरान खान को इस बार नोबेल शांति पुरस्कार मिलता है, या उनकी यह यात्रा फिर से एक और विवादास्पद मोड़ लेगी।