न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान के आतंकवाद को संरक्षण देने वाले चेहरे को वैश्विक मंच पर उजागर किया है। भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने शुक्रवार को परिषद की बैठक के दौरान पाकिस्तान को 2008 के मुंबई हमलों और हाल ही में 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के लिए आड़े हाथों लिया।
पाकिस्तान को आतंक की पनाहगाह बताया
सुरक्षा परिषद में “सशस्त्र संघर्ष में नागरिकों की सुरक्षा” विषय पर चर्चा के दौरान हरीश ने कहा कि भारत दशकों से सीमापार आतंकवाद से जूझ रहा है, जिसमें पाकिस्तान की स्पष्ट भूमिका रही है। उन्होंने कहा:
“भारत ने दशकों से अपनी सीमाओं पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी हमलों का सामना किया है — मुंबई का 26/11 हमला हो या अप्रैल 2025 में पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की सामूहिक हत्या। इन हमलों का मकसद भारत की समृद्धि, प्रगति और मनोबल को चोट पहुंचाना है।”
नागरिकों, पत्रकारों की सुरक्षा पर चिंता
पर्वतनेनी हरीश ने युद्धग्रस्त क्षेत्रों में नागरिकों, मानवीय कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और मीडिया पेशेवरों की सुरक्षा पर भी जोर दिया और कहा कि इन वर्गों पर लगातार बढ़ते खतरे वैश्विक चिंता का विषय हैं। उन्होंने विश्व समुदाय से आतंक के संरक्षकों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।
भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव
यह तीखा बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव का माहौल बना हुआ है। 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे। इसके बाद 7 मई को भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए।जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, जिससे तनाव और बढ़ गया। हालांकि, 10 मई को दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम पर अस्थायी सहमति बनी।
वैश्विक समुदाय की भूमिका अहम
भारत ने UNSC में यह स्पष्ट कर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी एक देश की नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता की लड़ाई है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक शक्तियों से आग्रह किया कि वे आतंकी संगठनों और उन्हें पनाह देने वाले देशों के खिलाफ निर्णायक कदम उठाएं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की इस सख्त चेतावनी ने एक बार फिर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर घेरा है। पहलगाम जैसे बर्बर हमलों के बाद भारत अब केवल मौखिक निंदा नहीं, बल्कि सीधी जवाबी कार्रवाई की नीति पर चल रहा है। भारत का रुख साफ है — आतंक को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे वह कहीं से भी आए।