कर्नाटक में कन्नड़ संगठन का 22 मार्च को 12 घंटे का बंद, कंडक्टर पर हमले के बाद विरोध प्रदर्शन

कर्नाटक में कन्नड़ संगठन का 22 मार्च को 12 घंटे का बंद, कंडक्टर पर हमले के बाद विरोध प्रदर्शन
कर्नाटक में कन्नड़ संगठन का 22 मार्च को 12 घंटे का बंद, कंडक्टर पर हमले के बाद विरोध प्रदर्शन

कर्नाटक में बेलगावी में एक KSRTC कंडक्टर पर हमले के बाद कन्नड़ संगठनों में गुस्सा फैल गया है। इस घटना के बाद, विभिन्न कन्नड़ समर्थक समूहों ने 22 मार्च को 12 घंटे के राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है। यह बंद सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक रहेगा और कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों में सार्वजनिक परिवहन को प्रभावित करेगा

आंदोलन का कारण

यह विरोध प्रदर्शन बेलगावी में फरवरी में हुई उस घटना के बाद बढ़ा, जब एक कंडक्टर पर महाराष्ट्र समर्थक समूहों ने हमला किया था क्योंकि उसने मराठी में बात करने से इनकार कर दिया था। यह घटना सीमा क्षेत्र में भाषाई तनाव को और बढ़ा रही है।

कर्नाटक में जीवन पर असर

इस बंद से राज्य के कई हिस्सों में जनजीवन प्रभावित होगा। बेंगलुरू में KSRTC और BMTC बस सेवाएं सुबह 6 से शाम 6 बजे तक बंद रहेंगी। इसके अलावा, ओला, उबर और ऑटो रिक्शा सेवाएं भी बंद रहेंगी। बंद के दौरान कुछ महत्वपूर्ण सेवाएं जारी रहेंगी।

खुला रहेगा क्या?

  • मेट्रो सेवाएं सामान्य रूप से चलेंगी।
  • बेंगलुरू में होटल और रेस्तरां खुले रहेंगे।
  • दूध की आपूर्ति प्रभावित नहीं होगी।
  • अस्पताल, फार्मेसी और अन्य चिकित्सा सेवाएं जारी रहेंगी।
  • पेट्रोल पंप और ईंधन स्टेशन खुले रहेंगे।
  • हवाई सेवाएं प्रभावित नहीं होंगी।

बंद रहेगा क्या?

  • BMTC और KSRTC बसें 6 बजे से 6 बजे तक बंद रहेंगी।
  • ओला, उबर, टैक्सी और ऑटो रिक्शा बंद रहेंगे।
  • सिनेमा हॉल और फिल्म गतिविधियाँ निलंबित हो सकती हैं।
  • बैंकों में छुट्टी रहेगी, क्योंकि यह चौथा शनिवार है।
  • स्कूल खुले रहेंगे, लेकिन कर्नाटक बोर्ड की परीक्षाएं और निजी स्कूलों की वार्षिक परीक्षा बिना किसी रुकावट के चलेंगी।

बंद के तीन मुख्य उद्देश्य

कन्नड़ संगठनों के द्वारा उठाए गए तीन प्रमुख मुद्दे हैं:

  1. महाराष्ट्र एकीकरण समिति (MES) जैसे मराठी समूहों पर प्रतिबंध।
  2. सीमावर्ती क्षेत्रों में कन्नड़ बोलने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  3. बेंगलुरू को प्रशासनिक क्षेत्रों में विभाजित करने का विरोध, जिससे सांस्कृतिक हानि होने का डर है।

यह आंदोलन महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद से जुड़ा हुआ है, जिसमें महाराष्ट्र ने 865 गांवों पर अपना दावा किया है, जिनमें बेलगावी, करवार और निपानी शामिल हैं, जिसे कर्नाटक ने सख्ती से नकारा है।

Digikhabar Editorial Team
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