भुवनेश्वर: ओडिशा के कालिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT) में एक नेपाली छात्रा प्रकृति लम्साल की आत्महत्या के बाद भारी विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसमें संस्थान पर नेपाली छात्रों को बाहर निकालने का आरोप लगाया गया। इस बीच, प्रदर्शन के दौरान फैकल्टी सदस्यों के विवादित बयान का वीडियो वायरल होने से मामला और भड़क गया।
विवादित बयान और माफी
वायरल वीडियो में मंजूषा पांडेय और जयंती नाथ नामक फैकल्टी सदस्य छात्रों से कहती नजर आईं, “हम 40,000 से अधिक छात्रों को मुफ्त में पढ़ा और खिला रहे हैं।” इसके जवाब में एक अन्य स्टाफ सदस्य, जयंती नाथ, ने टिप्पणी की, “यह आपके देश (नेपाल) के बजट के बराबर है।”
इस बयान के बाद भारी विरोध शुरू हो गया, जिससे दोनों शिक्षिकाओं को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी।
- मंजूषा पांडेय ने सफाई दी कि उनकी टिप्पणी “क्षणिक आवेग” में कही गई थी और यह उनकी निजी राय थी, न कि विश्वविद्यालय की आधिकारिक नीति। उन्होंने कहा, “अगर मेरी बातों से नेपाली छात्रों या नेपाल की जनता को ठेस पहुंची है, तो मैं दिल से माफी मांगती हूं।” वहीं जयंती नाथ ने भी खेद जताते हुए कहा कि उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था। उन्होंने कहा, “यह बयान प्रदर्शनकारियों द्वारा भारत और KIIT को ‘भ्रष्ट और गरीब’ कहने के जवाब में दिया गया था, न कि नेपाल का अपमान करने के लिए।”
छात्रों पर कार्रवाई और सरकार की दखलअंदाजी
घटना के बाद KIIT प्रशासन ने दो अधिकारियों को पद से हटा दिया और उनके कार्यों को “गंभीर लापरवाही” करार दिया। विश्वविद्यालय ने कहा, “हम अपने छात्रों को प्यार करते हैं और कभी उनके साथ अन्याय नहीं किया है।”
इस बीच, ओडिशा सरकार ने मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है। समिति नेपाल के छात्रों की बेदखली, आत्महत्या की परिस्थितियों, और विश्वविद्यालय के जवाबी कदमों की जांच करेगी। यह जांच गृह सचिव के नेतृत्व में की जाएगी।
मामले की गंभीरता को देखते हुए नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली और नेपाल स्थित भारतीय दूतावास ने भी इसकी गहन जांच की मांग की है।
राजनीतिक बवाल, न्यायिक जांच की मांग
ओडिशा विधानसभा में इस घटना पर जमकर हंगामा हुआ। कई विधायकों ने न्यायिक जांच और KIIT के संस्थापक अच्युत सामंत की गिरफ्तारी की मांग की है।
इसके अलावा, ओडिशा सरकार ने KIIT को निर्देश दिया है कि बेदखल किए गए नेपाली छात्रों का पता लगाया जाए और उन्हें काउंसलिंग की सुविधा दी जाए ताकि वे मानसिक रूप से मजबूत होकर अपनी पढ़ाई जारी रख सकें।
KIIT की सफाई और छात्रों से अपील
KIIT प्रशासन ने अपने बयान में कहा कि उनके कदमों को गलत तरीके से पेश किया गया है और उनका मकसद कभी भी नेपाली छात्रों को बाहर निकालना नहीं था। विश्वविद्यालय ने यह भी स्पष्ट किया कि कुछ छात्रों को अस्थायी रूप से घर लौटने की सलाह दी गई थी, लेकिन इसे गलत समझा गया।
“हम अपने नेपाली छात्रों से अपील करते हैं कि वे जल्द से जल्द अपनी नियमित कक्षाओं में लौटें। हम हमेशा उनके साथ हैं,” विश्वविद्यालय के बयान में कहा गया।
क्या मामला जल्द सुलझेगा?
अब सबकी निगाहें ओडिशा सरकार की जांच समिति और नेपाल सरकार की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं। KIIT प्रशासन के बयान और माफी के बावजूद, छात्रों और राजनीतिक दलों में नाराजगी बनी हुई है।
क्या विश्वविद्यालय अपने अंतरराष्ट्रीय छात्रों का विश्वास फिर से जीत पाएगा? क्या इस विवाद के बाद नेपाल-भारत के शैक्षणिक रिश्तों पर कोई असर पड़ेगा? यह सवाल अब भी अनसुलझे हैं।