किराना हिल्स, जिसे स्थानीय रूप से “ब्लैक माउंटेन्स” कहा जाता है, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सरगोधा जिले में स्थित है। यह पहाड़ी श्रृंखला लगभग 80 किलोमीटर लंबी है और इसकी ऊंचाई लगभग 600 फीट तक पहुंचती है। यह क्षेत्र पाकिस्तान वायु सेना के मुशाफ एयरबेस के अंतर्गत आता है और इसे एक संवेदनशील सैन्य क्षेत्र माना जाता है।
इतिहास और परमाणु गतिविधियाँ
1970 के दशक में पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने किराना हिल्स को रक्षा क्षेत्र के रूप में अधिग्रहित किया। यहां पर 1978-79 के दौरान पाकिस्तान सेना के इंजीनियरों ने सुरंगों की खुदाई शुरू की, जो परमाणु परीक्षण स्थलों के रूप में उपयोग की जा सकती थीं। इन सुरंगों का उपयोग उप-गंभीर (subcritical) परमाणु परीक्षणों के लिए किया गया था। 1995 में, अमेरिकी प्रशासन की निगरानी के चलते, इन परीक्षणों को अन्य स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया।
हालिया विवाद और ऑपरेशन सिंदूर
मई 2025 में, भारत द्वारा “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों और वायुसेना अड्डों पर किए गए हमलों के बाद, अफवाहें फैलने लगीं कि भारत ने किराना हिल्स में स्थित एक परमाणु सुविधा को निशाना बनाया है। हालांकि, भारतीय वायुसेना के एयर मार्शल ए.के. भारती ने इन दावों का खंडन किया और कहा, “हमने किराना हिल्स को नहीं मारा, जो कुछ भी वहां है।”
IAEA की प्रतिक्रिया
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने भी इन अफवाहों को खारिज करते हुए कहा कि पाकिस्तान की किसी भी परमाणु सुविधा से कोई विकिरण रिसाव या उत्सर्जन नहीं हुआ है। IAEA के प्रवक्ता फ्रेडरिक डाहल ने कहा, “हमें रिपोर्टों की जानकारी है। IAEA के पास उपलब्ध जानकारी के आधार पर, पाकिस्तान की किसी भी परमाणु सुविधा से कोई विकिरण रिसाव या उत्सर्जन नहीं हुआ है।”
सारांश
किराना हिल्स पाकिस्तान की परमाणु क्षमताओं और सुरक्षा के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील स्थल है। हालिया घटनाओं और अफवाहों ने इस क्षेत्र की सुरक्षा और पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। हालांकि, आधिकारिक स्रोतों ने किसी भी परमाणु घटना या हमले की पुष्टि नहीं की है।