Mahavir Jayanti: कौन थे भगवान महावीर, क्यों अहम है जैनियों के लिए महावीर जयंती, क्या है पांच प्रमुख सिद्धांत

Mahavir Jayanti: कौन थे भगवान महावीर, क्यों अहम है जैनियों के लिए महावीर जयंती, क्या है पांच प्रमुख सिद्धांत
Mahavir Jayanti: कौन थे भगवान महावीर, क्यों अहम है जैनियों के लिए महावीर जयंती, क्या है पांच प्रमुख सिद्धांत

भारत में ऐसे कई महापुरुषों ने जन्म लिया जिन्होंने समाज को नैतिकता ,अहिंसा और ज्ञान की राह दिखाई। उन्ही में से एक हैं भगवान महावीर जिन्हे जैन धर्म के 24 वें और अंतिम तीर्थंकर के रूप में पूजा जाता है। भगवान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व में बिहार राज्य के वैशाली के पास स्थित कुंडलपुर नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता का नाम राजा सिद्धार्थ था और माता का नाम त्रिशला देवी था. बचपन में भगवान महावीर का नाम वर्धमान रखा गया, जिसका अर्थ है – बढ़ने वाला, विकासशील। भगवान महावीर मात्र 30 वर्ष की उम्र में ही तपस्या और आत्मज्ञान की राह चुन ली थी, उन्होंने न केवल मानवों के लिए बल्कि सभी जीवों के प्रति करुणा और दया का संदेश दिया।

महावीर स्वामी ने लगभग 12 वर्षों तक कठोर तप और साधना की. इस दौरान उन्होंने अनेक कठिनाइयों का सामना किया – भूख, प्यास, गर्मी, सर्दी, और लोगों की उपेक्षा, फिर भी वे घबराए नही। अंततः इस कठोर तपस्या और आत्मसंयम के फलस्वरूप, उन्हें कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। इसके बाद वे “अरिहंत” कहलाए – मतलब वह आत्मा जिसने सारे कर्मों को नष्ट कर दिया हो।

“स्वामी का सबसे प्रमुख संदेश था—“अहिंसा परमो धर्मः” अर्थात अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है।

महावीर जयंती का महत्व –

भारत एक ऐसा देश है जहां विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और परंपराओं का मिलन देखने को मिलता है। इन्हीं महान परंपराओं में एक है जैन धर्म, जिसके 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के जन्म दिवस ‘महावीर जयंती’ के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व जैन समाज के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत है। महावीर जयंती का पर्व चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है। महावीर जयंती में लोग भगवान महावीर से प्रार्थना करते हैं और उनकी शिक्षाओं के अनुसार जीने का प्रयास करते हैं। भगवान महावीर स्वामी ने न केवल जैन धर्म को नया जीवन दिया बल्कि अपने आदर्शों से करोड़ो लोगों को सही राह दिखाई

जैन धर्म का इतिहास –

जैन धर्म की उत्पत्ति वैदिक काल से भी पहले मानी जाती है। जैन ग्रंथों के अनुसार, इस धर्म के 24 तीर्थंकर हुए, जिनमें पहले तीर्थंकर ऋषभदेव थे और अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी। ऋषभदेव को जैन धर्म का संस्थापक माना जाता है।ऋषभदेव के बाद 23 वें और तीर्थंकर हुए, जिन्होंने इस धर्म को आकार और दिशा दी। इन सभी तीर्थंकरों ने सांसारिक जीवन का त्याग कर तपस्या, ध्यान और आत्मशुद्धि के मार्ग पर चलकर मोक्ष प्राप्त किया।

जैन धर्म का मूल आधार आत्मा की शुद्धि, अहिंसा और मोक्ष की प्राप्ति है। जैन धर्म आपको आत्म-ज्ञान और आत्म-शुद्धि के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। महवीर स्वामी अंतिम तीर्थंकर थे और और उनकी शिक्षाओं पर ही जैन धर्म की आज दो प्रमुख परंपरा बनी :

1. दिगंबर संप्रदाय: इस संप्रदाय के साधु वस्त्र नहीं पहनते और पूर्ण वैराग्य का पालन करते हैं।

2. श्वेतांबर संप्रदाय: इनके साधु-साध्वियाँ सफेद वस्त्र पहनते हैं।

महावीर स्वामी के पांच प्रमुख सिद्धांत –

अहिंसा और सत्य पर भगवान महावीर की शिक्षाएँ दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करती रहती हैं। भगवान महावीर ने पांच प्रमुख सिद्धांतों के बारे में बताया है

1 अहिंसा- हर परिस्थिति में हिंसा से दूर रहने का संदेश दिया है. इसमें उन्होंने बताया कि भूल कर भी किसी को कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए.

2 सत्य- जो व्यक्ति बुद्धिमान होता है और सच के साथ जुड़ा रहता है, वह मृत्यु जैसे कठिन मार्ग को भी पार कर लेता है. इसी कारण उन्होंने हमेशा लोगों को सत्य बोलने की प्रेरणा दी.

3 अस्तेय- जो लोग अस्तेय का पालन करते हैं, वे किसी भी रूप में किसी वस्तु को बिना अनुमति के ग्रहण नहीं करते। ऐसे व्यक्ति जीवन में हमेशा सिमित रहते हैं और केवल वही चीज स्वीकार करते हैं जो उन्हें स्वेच्छा से दी जाती है.

4 ब्रह्मचर्य- इस सिद्धांत को अपनाने के लिए जैन लोगों को पवित्रता और संयम के गुणों का पालन करना होता है.

5 अपरिग्रह- इसमें उन्होंने व्यक्ति को अपने इच्छाओं और वस्तुओं का त्याग करना बताया है।

कैसे मनाया जाता है महावीर जयंती पर्व –

इस दिन की शुरुआत भगवान महावीर की मूर्ति के जुलूस से होती है जिसके बाद प्रार्थना और भजन होते हैं। लोग अपने घरों और मंदिरों को फूलों और रोशनी से सजाते हैं। कई जैन दिन भर का उपवास रखते हैं और जैन मंदिरों में प्रार्थना करते हैं। जैन समाज द्वारा दिन भर अनेक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करके महावीर का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल महावीर जयंती 10 अप्रैल को मनाया जाएगा।

Digikhabar Editorial Team
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