Ola, Uber की बढ़ीं मुश्किलें, मोबाइल डिवाइस के आधार पर किराया तय करने का आरोप, उपभोक्ता मंत्रालय ने भेजा नोटिस

Ola, Uber की बढ़ीं मुश्किलें, मोबाइल डिवाइस के आधार पर किराया तय करने का आरोप, उपभोक्ता मंत्रालय ने भेजा नोटिस
Ola, Uber की बढ़ीं मुश्किलें, मोबाइल डिवाइस के आधार पर किराया तय करने का आरोप, उपभोक्ता मंत्रालय ने भेजा नोटिस

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने ओला और उबर जैसी प्रमुख कैब एग्रीगेटर कंपनियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। यह कदम उन आरोपों के बाद उठाया गया है, जिसमें कहा गया है कि ग्राहकों से उनके मोबाइल डिवाइस (आईफोन या एंड्रॉयड) के आधार पर अलग-अलग किराया वसूला जा रहा है।

डिवाइस के आधार पर किराया तय करने का आरोप

यह मामला तब प्रकाश में आया जब दिल्ली के एक उद्यमी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर यह दावा किया कि आईफोन और एंड्रॉयड फोन का उपयोग करने वाले ग्राहकों से एक ही रूट के लिए अलग-अलग किराया वसूला जा रहा है। इस मुद्दे को दिसंबर में एक अन्य पोस्ट के बाद व्यापक चर्चा मिली, जिसमें उबर ऐप पर एक ही लोकेशन के लिए दो अलग-अलग डिवाइस पर भिन्न किराए दिखाए गए।

उबर का बचाव और उपयोगकर्ताओं का दावा

उबर ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि किराए में अंतर का कारण पिकअप और ड्रॉप-ऑफ स्थानों में बदलाव, और अनुमानित समय में भिन्नता हो सकता है, न कि ग्राहक द्वारा उपयोग किए गए मोबाइल डिवाइस का प्रकार। हालांकि, कई उपयोगकर्ताओं ने यह दावा किया है कि उन्होंने एक ही रूट के लिए अलग-अलग डिवाइस पर अलग-अलग किराए देखे हैं, जो इन आरोपों में संभावित सच्चाई की ओर इशारा करते हैं।

उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन

इस मुद्दे पर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने कार्रवाई शुरू की है। उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इसे उपभोक्ताओं के साथ “अनुचित व्यापार प्रथाओं” और पारदर्शिता के अधिकार का उल्लंघन करार दिया है। उन्होंने CCPA को निर्देश दिया है कि इन आरोपों की गहन जांच की जाए और जल्द से जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।

सरकार का सख्त रुख

मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, “उपभोक्ताओं का शोषण सरकार के लिए अस्वीकार्य है। सरकार इस मामले में सख्त कदम उठाएगी और यह सुनिश्चित करेगी कि ग्राहकों को उनके अधिकारों से वंचित न किया जाए।”

क्या है आगे की राह?

सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम के बाद ओला और उबर जैसी कंपनियों पर दबाव बढ़ गया है। यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो ये कंपनियां उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत दंड का सामना कर सकती हैं। इस बीच, उपभोक्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार से पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की मांग की है।

यह मामला न केवल उपभोक्ता अधिकारों का सवाल है, बल्कि यह भी दिखाता है कि डिजिटल युग में उपभोक्ताओं को जागरूक और सतर्क रहना कितना जरूरी है।

Digikhabar Editorial Team
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